पंजाब चुनाव: नोटा से भी कम पर सिमट गयी कम्युनिस्ट पार्टियां चर्चा का विषय क्यों नहीं हैं?

उत्तर प्रदेश में बसपा के एक सीट जीतने पर बौद्धिक समाज में जैसी खलबली देखी गयी वैसी कम्युनिस्ट पार्टी के बंगाल में लगातार दो बार हारने के बाद भी नहीं देखी गयी। पंजाब में नोटा से भी कम वोट मिलने पर कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों पर कोई चर्चा न होना और भी चौंकाता है।

Read More

काशी की सियासी तारीख के अहम किरदार और कम्युनिस्टों के गुरु कामरेड विशु दा

बनारस ही नहीं बल्कि वामपंथी दुनिया में उन्हें वैचारिकी का स्रोत समझा जाता था। एस.ए. डांगे, मोहित सेन, भूपेश गुप्त, इन्द्रजीत गुप्त, बी.डी.जोशी आदि के साथ पार्टी को मजबूत करने तथा जनांदोलनों की दशा और दिशा तय करने में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभायी। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन अधिकारी तो कामरेड विश्वेश्वर मुखर्जी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।

Read More