लोकतांत्रिक व्यभिचार का राष्ट्रीय प्रहसन
अभिषेक श्रीवास्तव इतिहास गवाह है कि प्रतीकों को भुनाने के मामले में फासिस्टों का कोई तोड़ नहीं। वे तारीखें ज़रूर याद रखते हैं। खासकर वे तारीखें, जो उनके अतीत की …
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अभिषेक श्रीवास्तव इतिहास गवाह है कि प्रतीकों को भुनाने के मामले में फासिस्टों का कोई तोड़ नहीं। वे तारीखें ज़रूर याद रखते हैं। खासकर वे तारीखें, जो उनके अतीत की …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव इतिहास गवाह है कि प्रतीकों को भुनाने के मामले में फासिस्टों का कोई तोड़ नहीं। वे तारीखें ज़रूर याद रखते हैं। खासकर वे तारीखें, जो उनके अतीत की …
Read More11 फरवरी 2014 (फोटो: साभार भड़ास4मीडिया) प्रिय साथी, आप पिछले पांच दिनों से सामाजिक न्याय से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों को लेकर नयी दिल्ली के जंतर-मंतर में अनशन पर बैठे …
Read Moreमारुति प्रबंधन के सताए मज़दूरों के जले पर नमक छिड़क गए योगेंद्र यादव न कहीं कोई कवरेज हुई, न किसी को कोई ख़बर। न टीवी के कैमरे आए, न अख़बारों …
Read MoreA writer’s life is a highly vulnerable, almost naked activity. We don’t have to weep about that. The writer makes his choice and is stuck with it. But it is …
Read Moreअभिषेक श्रीवास्तव 1 असहमति- एक ख़तरनाक बात थी पिछले दौर में। उन्होंने असहमति के पक्ष में और इसके दमन के विरुद्ध ही अब तक की है राजनीति। वे असहमत …
Read Moreप्रेम भारद्वाज हमारे समय के तमाम लिक्खाड़ों के बीच प्रेम भारद्वाज चुपके से अपना काम कर रहे हैं। एक अदद साहित्य पत्रिका ‘पाखी’ का संपादन करते हुए यूं तो उन्होंने …
Read Moreby Dr Mohan Rao, Prof JNU, Dr Ish Mishra, Prof DU, Dr Vikas Bajpai, PhD scholar, JNU & Ms Pragya Singh, Journalist Outlook Press Statement on the Report Date: December 30, …
Read More2013 में हिंदी साहित्य का लेखा-जोखा रंजीत वर्मा जब 2013 शुरू हुआ था तब दामिनी बलात्कार कांड को लेकर पूरा देश आंदोलनरत था और जब यह खत्म हुआ, तो खुर्शीद …
Read MoreThe intellectuals have invented their own version of Godwin’s law—no matter what the issue, it will be turned into a debate on “secularism” and identity, feeding upon India’s millennia-old caste- …
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