कच्छ कथा-3: कच्छी समाज की घुटन के पार
बिन छाछ सब सून … तो अपने सफ़र की पहली रात हमने लालजी के परिवार के साथ गुज़ारी। रात के खाने में लालजी की घरवाली ने बाजरे की रोटी, डोकरा …
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बिन छाछ सब सून … तो अपने सफ़र की पहली रात हमने लालजी के परिवार के साथ गुज़ारी। रात के खाने में लालजी की घरवाली ने बाजरे की रोटी, डोकरा …
Read More… तो लालजी के घर चाय पीने के बाद हम जान गए कि कच्छ में नमक को मीठू कहते हैं। हमारे अहमदाबाद के एक पत्रकार मित्र जिन्होंने दो दिन बाद …
Read Moreगुजरात की सरकार पिछले कई दिनों से एक विज्ञापन कर रही है जिसमें परदे पर अमिताभ बच्चन कहते हैं, ”जिसने कच्छ नहीं देखा, उसने कुछ नहीं देखा”। आप अमिताभ बच्चन …
Read Moreएक छोटा सा शेर कैसे-कैसे और किन-किन संदर्भों में लागू हो सकता है, उसकी ताज़ा मिसाल 1 जनवरी 2012 को मेरे साथ हुई दुर्घटना है। ये बताने से पहले कि …
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Read More नेल्सन मंडेला कभी-कभार कुछ रचनाएं कालजयी हो जाती हैं जो बरसों तक व्यक्तियों और राष्ट्रों के लिए प्रेरणा का काम करती हैं। ”इनविक्टस” ऐसी ही एक कविता है, जिसे अंग्रेज़ …
Read Moreकाशीनाथ सिंह काशीनाथ सिंह यानी अस्सी के काशी को 2011 का साहित्य अकादमी मिल गया, ये अपने आप में अगर बड़ी नहीं तो दिलचस्प बात ज़रूर है। अव्वल तो साहित्य …
Read More22 अक्टूबर 1947 – 18 दिसंबर 2011 आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप कोमैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको जिस गली में भुखमरी की यातना से ऊब करमर गई …
Read Moreमैं पांच दिन के बाद बनारस से लौट रहा हूं। ठीक पांच दिन पहले बनारस लौटा था। दोनों ही स्थितियों में फर्क है। मन:स्थिति का फर्क। जब तीन बरस बाद …
Read Moreआज रात 12 बजे मैं पटना से मुग़लसराय अपने तीन साथियों के साथ पहुंचा। मुग़लसराय को कभी बनारस से जुदा नहीं मान सका, सो गिरते ही चाय पीकर सबसे पहले …
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