शहादत की छवियां

पिछले साल की 14 फरवरी याद है आपको? एक बड़ी अजीब घटना हुई थी उस दिन। सुबह से ही ट्विटर और अन्‍य सोशल नेटवर्किंग साइटों समेत एसएमएस से हमें याद …

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सुनिए दास्‍तानग़ोई

कहां तो तय था चराग़ां हरेक घर के लिए कहां चराग़ मयस्‍सर नहीं शहर के लिए… बिनायक सेन के खिलाफ़ राजद्रोह के मुकदमे पर सुनिए दानिश और फ़ारुकी की दास्‍तानग़ोई… …

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समकालीन तीसरी दुनिया का मार्च अंक

समकालीन तीसरी दुनिया का मार्च अंक आ गया है। यह विश्‍व पुस्‍तक मेले में हॉल नंबर 11 के स्‍टॉल 133-134 पर भी उपलब्‍ध है। पढ़ने और डाउनलोड करने के लिए …

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अफलातून, पांडे और बुद्धिजीवियों का संकट

बुद्धिजीवियों की हालत बहुत दयनीय है। पूरी जि़ंदगी वे जनता के नाम की माला जपते हुए बिता देते हैं लेकिन जब कभी जनता के बीच जाते हैं तो जनता उन्‍हें …

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‘समयांतर’ के फरवरी 2012 विशेषांक का मूल अतिथि संपादकीय

हिंदी की वैचारिक पत्रिका ‘समयांतर’ का फरवरी विशेषांक ‘विकास बनाम अस्तित्‍व’ निकालने की जि़म्‍मेदारी इस बार मुझे दी गई थी। अंक अब बाज़ार में आ चुका है और उसमें अतिथि …

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आओ देखो, गलियों में बहता लहू…

नवीन जिंदल कल खबर आई कि नवीन जिंदल भारत की सीईओ बिरादरी में सबसे ज्‍यादा वेतन पाने वाले शख्‍स के रूप में लगातार दूसरे साल बाज़ी मार ले गए हैं। …

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खिलौने के गुब्‍बारे सी ठहरी जि़ंदगी: शिंबोर्स्‍का की एक कविता

 विस्‍साव शिंबोर्स्‍का (2 जुलाई 1923-1 फरवरी 2012) मौत की घड़ी में स्‍मृतियों का आवाहन करने के बजाय मैं फरमान दूंगी   ग़ुम हो चुकी चीज़ों की वापसी का। खिड़कियों …

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राफेल कहीं दूसरा बोफोर्स तो नहीं?

आजकल फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे का बडा हल्‍ला है, लेकिन दस महीने पहले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गई एक चिट्ठी बताती है कि राफेल सौदा कैसे …

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