ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी, पत्रकार सिद्धार्थ रामू और सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार निराला समेत सभी निर्दोष लोगों की गोरखपुर में की गई गिरफ्तारी के खिलाफ सपा, माकपा, भाकपा, आइपीएफ व नागरिक समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी चंदौली के माध्यम से राष्ट्रपति महोदया को पत्र भेजा। राष्ट्रपति से सभी लोगों की तत्काल रिहाई की मांग की गई।
पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में अपने राजनीतिक विरोधियों, खास तौर पर जो लोग जनमुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेत मजदूर और गरीब किसानों के लिए जमीन के अधिकार के सवाल को उठाते हैं उनका हर तरह से प्रशासनिक उत्पीड़न कर रही है। इसी सोच के तहत ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व आइजी एस. आर. दारापुरी और उनके सहयोगी पत्रकार सिद्धार्थ रामू व राजनीतिक कार्यकर्ता श्रवण कुमार निराला जैसे अन्य लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
यह गिरफ्तारी दिखाती है कि उत्तर प्रदेश सरकार को राजनीतिक मान्यता और मर्यादा की भी कतई परवाह नहीं है और सीधे-सीधे कानूनसम्मत कार्यवाही की जगह अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर शासन करती है। अन्यथा कोई कारण नहीं है कि 10 अक्टूबर 2023 को कमीशनरी प्रांगण में शांतिपूर्वक सम्पन्न हुई सभा को सम्बोधित करने वाले दारापुरी जी जैसे जिम्मेदार नागरिक को दूसरे दिन गिरफ्तार करके आइपीसी 307 के तहत जेल भेजा जाता। उन्हें विदेशी ताकतों से साठगांठ करने वाले के बतौर भी पेश करने की कोशिश हो रही है जबकि उनकी नागरिकता और देशभक्ति की प्रमाणिकता दशकों तक बतौर आइपीएस प्रशासनिक भूमिका निभाने में दर्ज है।
ज्ञातव्य है कि 10 अक्टूबर को मजदूर, दलित नागरिकों की भूमि अधिकार के सरोकार को लेकर जो आम सभा बेहद शांतिपूर्ण वातावरण में हुई उसके आयोजन और सम्बोधन करने वालों को 307 जैसे अपराध में गिरफ्तार किया गया और 82 वर्षीय दारापुरी जी जो पार्किंसन जैसी गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हैं, उन्हें जेल भेज दिया गया। लोकतंत्र के लिए चीजें कितनी भयावह होती जा रही हैं वह इसी बात से साफ होता है कि सरकार के उच्च ओहदों पर बैठे हुए लोगों के निर्देशन पर बिना तथ्य और प्रमाणिकता के आधार पर गम्भीर आपराधिक मुकदमे लगाए गए और जेल भेज दिया गया।
दारापुरी जी की गिरफ्तारी 11 अक्टूबर 2023 को पुलिस द्वारा दोपहर 2:20 पर रेलवे बस स्टैंड तिराहे गोरखपुर से दिखाई गई है जबकि दारापुरी जी को तारामंडल स्थित रामा होटल से 11 अक्टूबर की सुबह 8:15 पर गिरफ्तार किया गया जो फेसबुक में ऑन रिकॉर्ड दर्ज है। दारापुरी जी ने गिरफ्तारी से पहले रामा होटल से इस संबंध में फेसबुक पर पोस्ट लिखी थी और शेयर भी की थी। इस तरह की उत्तर प्रदेश सरकार की कार्रवाई लोकतंत्र विरोधी ही नहीं गैर-जिम्मेदाराना सरकार का प्रदर्शन करती है और यह प्रदेश के नागरिकों के हित में नहीं है।
गोरखपुर समेत प्रदेश के नागरिकों से यह अपील की गई है कि वे सरकार के तर्क की असलियत को समझें और लोकतांत्रिक अधिकारों के प्रति अपनी एकता जाहिर करें। उत्तर प्रदेश सरकार से यह भी कहा गया है कि अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए इस तरह की कार्रवाइयों को न करें ताकि पूर्वजों के लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त हुई आजादी को नुकसान न पहुंचे।
राष्ट्रपति को भेजे पत्र को समर्थन करने के लिए कांग्रेस, सीपीएम, सीपीआइ, सपा, बसपा, राजद, जेडीयू, आप, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रीय लोकदल और टीआरएस को भी भेजा गया था।
राष्ट्रपति महोदया से पत्र में अनुरोध किया गया है कि पूरे घटना की न्यायिक जांच कराई जाए और दारापुरी व उनके साथ अन्य गिरफ्तार लोगों को ससम्मान रिहा किया जाए।