कोविड-19 के लगातार बढ़ रहे मामले जहाँ चिंता का सबब हैं वहीं ग़ैर-सरकारी हॉस्पिटलों में आपदा को अवसर में बदलने का खेल खेला जा रहा है। लोगों में कोरोना को लेकर जानकारी का अभाव है जिसकी वजह से लोग इससे भयभीत नज़र आ रहे है। मरीज़ को जब कोरोना वायरस जकड़ लेता है तो वह प्राइवेट हॉस्पिटल की तरफ़ दौड़ते हैं। उसी का फ़ायदा उठाकर प्राइवेट हॉस्पिटल आपदा से घिरे मरीज़ की मजबूरी को अवसर में बदल रहे हैं।
मरीज़ के परिजनों से कहा जाता है मरीज़ को भर्ती करने लिए कोरोना की जाँच रिपोर्ट दिखायें लेकिन वह उसने डर या जानकारी के अभाव के चलते कराई नहीं होती है। तब उसको कहा जाता है कि हम मरीज़ को भर्ती तो कर लेंगे लेकिन कोविड-19 न दिखाकर किसी अन्य बीमारी में दिखा सकते हैं और इलाज कोरोना वायरस का ही करेंगे। परिजन तैयार हो जाते हैं। इस तरह के मरीज़ उस हालात में हॉस्पिटलों की ओर दौड़ते हैं जब मरीज़ के सही होने के चांस न के बराबर रह जाते हैं। कोरोना से पीड़ित मरीज़ दम तोड़ देते हैं और हॉस्पिटल उनके परिजनों को उसका शव सौंप देते हैं। परिजन उसका अंतिम संस्कार अपने धर्म के मुताबिक़ कर रहे हैं जिसकी वजह से कोरोना वायरस भयंकर रूप लेता जा रहा है।
सहारनपुर के देवबन्द इलाके के लोग मेरठ जाकर एक निजी हॉस्पिटल में भर्ती हो रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यह खेल काफी दिनों से चल रहा है। मरीज़ की रिपोर्ट अगर पॉज़िटिव आ जाती है तो वहाँ निगेटिव कर देते हैं और मरीज़ का इलाज शुरू कर देते हैं जिससे अब तक लगभग कई लोग अपनी जिंदगी गंवा चुके हैं। अधिकारियों ने अगर तुरंत ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो न जाने कितने लोग मौत के आग़ोश में समा जाएँगे इसका अंदाज़ा लगा पाना मुश्किल है।
ग्राउंड जीरो पर अब ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। सवाल उठता है कि ऐसे मामलों का पता कैसे चला है? जैसे-जैसे यह विकराल रूप ले रहा है तो अब लोग इसकी चर्चा करते देखे जा रहे हैं। हमने कुछ चिकित्सकों से बात कर मामले की सच्चाई जानने की कोशिश की तो उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि कोरोना के चलते प्राइवेट हॉस्पिटलों का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है। उसी की पूर्ति करने के लिए ऐसा किया जा रहा होगा।
अगर उनके इसी तर्क को मान लिया जाए तो क्या इसका मतलब यह हुआ कि पैसों की पूर्ति के लिए लोगों की ज़िन्दगियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है? जान-बूझ कर प्राइवेट हॉस्पिटलों के स्वामी अपनी जेबों को भर कर देश एवं प्रदेश में कोरोना वायरस को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं, वहीं कोरोना के मरीज़ों की संख्या एवं उसके चलते हो रही मौतों का भी सही पता नहीं चल पा रहा है।
कोरोना पॉज़िटिव से पीड़ित मरीज़ों को प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कर उनकी और उनके परिजनों को मौत की तरफ़ जाने के लिए ज़बरदस्ती भेजा जा रहा है। सरकार और अधिकारी या तो अंजान है या जान-बूझ कर इससे मुँह मोड़े हुए हैं। यह तो मुमकिन नहीं है कि सरकार और अधिकारियों को जानकारी नहीं है। यही वजह है कि यूपी में कोरोना वायरस भयंकर रूप लेता जा रहा है।
समय रहते ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटलों को चिन्हित कर उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जानी सुनिश्चित की जानी चाहिए।