भीमा कोरेगांव: रोना विल्‍सन का लैपटॉप हैक कर के डाली गयी थीं 52 फाइलें, US एजेंसी का उद्घाटन


भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्‍या की साजिश और सरकार को गिराने के आरोप में गिरफ्तार कुल 16 व्‍यक्तियों में से सबसे पहले उठाये गये रिसर्चर और सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्‍सन के लैपटॉप को एक ईमेल के माध्‍यम से दो साल पहले हैक कर के उसमें नेटवायर नाम का एक मैलवेयर डाला गया था जिसकी मदद से 22 माह की अवधि में कुल 52 फाइलें एक फोल्‍डर में जमा की गयीं।

यह उद्घाटन आर्सेनल कंसल्टिंग नाम की एक फोरेंसिक एजेंसी ने किया है, जिसे भीमा कोरेगांव केस में बचाव पक्ष द्वारा हायर किया गया था। इस संबंध में वॉशिंगटन पोस्‍ट ने सबसे पहले खबर छापी थी।

आर्सेनल ने अपनी समूची रिपोर्ट एनआइए की अदालत में दे दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर रोना विल्‍सन ने बॉम्‍बे हाइकोर्ट में एक याचिका लगाकर एक स्‍पेशल इनवेस्टिेशन टीम बनाने की मांग बुधवार को की है।

आर्सेनल के प्रेसिडेंट मार्क स्‍पेंसर ने इस सम्‍बंध में एक संक्षिप्‍त बयान जारी किया है जिसमें उन्‍होंने कहा है कि भीमा कोरेगांव केस के दस्‍तावेजों की जांच के अधार पर अपनी रिपोर्ट के अगले हिस्‍से वे जल्‍द जारी करेंगे।

आर्सेनल ने अब तक ट्विटर पर अपनी रिपोर्ट के दो स्‍क्रीनशॉट शेयर किए हैं जिसमें उसने रोना के लैपटॉप और हमलावर के कमांड और कंट्रोल सर्वर के बीच हुए कम्‍युनिकेशन का विवरण दिया है।

वॉशिंगटन पोस्‍ट की विस्‍तृत खबर कहती है कि उसने तीन बाहरी विशेषज्ञों से आर्सेनल की रिपोर्ट की जांच करवायी है और उसे सही पाया है। रिपोर्ट में हमलावर का नाम नहीं बताया गया है जिसने रोना के लैपटॉप को हैक किया था।

आर्सेनल के प्रेसिडेंट के अनुसार भीमा कोरेगांव केस में कागज़ात की जांच का केस साक्ष्‍यों से छेड़छाड़ का अब तक का सबसे बड़ा केस है जो उनके सामने आया है। वॉशिंगटन पोस्‍ट की खबर में पूरी रिपोर्ट को डाउनलोड करने की सुविधा है। यह रिपोर्ट आप नीचे पढ़ सकते हैं।

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आर्सेनल की रिपोर्ट कहती है कि जून 2016 में एक दोपहर रोना विल्‍सन के पास एक जानने वाले एक्टिविस्‍ट के पास से कई मेल आए। उसमें एक लिंक पर क्लिक करने का अनुरोध किया गया था ताकि एक नागरिक स्वातंत्र्य संगठन की रिपोर्ट को डाउनलोड किया जा सके। आर्सेनल के मुताबिक इस लिंक में नेटवायर नाम का मैलवेयर मौजूद था जिसके माध्‍यम से हैकर विल्‍सन के लैपटॉप को ऐक्‍सेस कर सकता था।

नेटवायर 10 डॉलर के दाम पर बाजार में मिलता है।

आर्सेनल के अनुसार नेटवायर के हमलावर ने रोना के लैपटॉप में एक छुपा हुआ फोल्‍डर बनाया और उसमें 10 पत्र डाले। ये पत्र माइक्रोसॉफ्ट वर्ड के सबसे ताज़ा संस्‍करण पर बनाये गये थे जो रोना के लॉपटॉप में नहीं थे। आर्सेनल की रिपोर्ट कहती है कि उसे ऐसा कोई साक्ष्‍य नहीं मिला है कि उस छुपे हुए फोल्‍डर के ये दस्‍तावेज़ कभी खोले गए।

आर्सेनल के मुताबिक बिलकुल ऐसी ही घटना तुर्की के एक पत्रकार के साथ हुई थी जिनके कंप्‍यूटर में साक्ष्‍य जबरन डाल दिए गए थे और जिन पर आतंकवाद का आरोप लगा था, हालांकि बाद में वे छूट गए थे।

बिलकुल ऐसे ही साक्ष्‍य रोना विल्‍सन के साथ गिरफ्तार किए गए दूसरे व्‍यक्तियों के कंप्‍यूटर में भी डाले गए थे। एमनेस्‍टी इंटरनेशनल ने इससे पहले उद्घाटन किया था कि पेगासस नाम के एक सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से गिरफ्तार व्‍यक्तियों के कंप्‍यूटर को हैक किया गया था।

एमनेस्‍टी और आर्सेनल के नतीजे एक दूसरे से मेल खाते हैं।   

फिलहाल अदालत से सभी 16 आरोपितों की ज़मानत अर्जी अलग-अलग वक्‍त में खारिज की जा चुकी है।   


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