एक अहम घटनाक्रम में आज अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआइकेएससीसी) ने घोषणा की कि 26 जनवरी को प्रस्तावित किसान परेड अब मजदूर किसान परेड होगी। सभी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने घोषणा की है कि वे आगामी गणतंत्र दिवस पर किसानों के साथ हाथ से हाथ मिलाकर परेड में हिस्सा लेंगे।
अभी तक ट्रेड यूनियनें किसान आंदोलन को बाहर से समर्थन दे रही थीं। अब मजदूर संगठन खुलकर मोर्चे पर आ रहे हैं। इस सम्बंध में 22 जनवरी को शाम 4 बजे केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त प्लेटफॉर्म की एआइकेएससीसी के कार्यकारी समूह के साथ बैठक तय की गयी है।
इतन ही नहीं, देश भर के बिजली कर्मचारी भी आंदोलन के साथ आ गये हैं। एआइकेएससीसी ने अपनी विज्ञप्ति में बताया है कि आगामी 3 फरवरी को बिजली कर्मचारी देशव्यापी हड़ताल करने जा रहे हैं।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने आज जारी बुलेटिन में कहा है कि कारपोरेट हितों को फायदा पहुंचाने वाले तीनों नये कृषि कानून और बिजली बिल 2020 वापस लेने की मांग ही किसान संगठनों और मजदूर संगठनों को एकजुट रखने के पीछे बुनियादी कारण है। मोदी सरकार इस एकता को तोड़ना चाहती है इसलिए वह कानूनों को वापस लेने के बजाय अन्य विकल्पों पर जोर दे रही है।
एआइकेएससीसी ने सवाल किया है कि खुद प्रधानमंत्री किसानों से चर्चा क्यों नहीं करते? समिति ने यह भी कहा है कि कृषि पर कानून बनाना केंद्र का नहीं, यह राज्यों का विषय है। समिति ने यह भी कहा है कि इन कानूनों को वापस लेने के सिवा कोई दूसरा विकल्प नहीं है क्योंकि किसान न अपनी जमीन के साथ कोई समझौता कर सकता है न ही एमएसपी पर। भारत की खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा पर देश आत्मनिर्भरता इन्ही पर निर्भर है और किसान इनसे कोई समझौता नहीं कर सकता।
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