किसान आंदोलन में मौतों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. खबर के मुताबिक, शनिवार रात टिकरी बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से 19 साल के युवक जश्नप्रीत सिंह की मौत हो गयी. जश्नप्रीत पिता गुरमेल सिंह, भटिंडा से किसान आंदोलन में शामिल होने आये थे.
शनिवार रात तक कुल चौबीस घंटों में किसान आंदोलन के प्रदर्शन क्षेत्र में करीब तीन मौतें हो चुकी थी. इससे पहले यूपी के रामपुर के रहने वाले किसान कश्मीर सिंह ने फांसी लगा ली थी. कश्मीर सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा था , “कब तक हम सर्दी में बैठेंगे, यह सरकार सुन नहीं रही, इसलिए जान दे रहा हूं ताकि कोई हल निकल सके. मेरा अंतिम संस्कार यहीं (दिल्ली बॉर्डर) पर कर देना.”
वहीं एक दिन पहले ही गलटन सिंह की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. वहीं, खबर के अनुसार गाजीपुर सीमा पर 57 वर्षीय एक किसान मोहर सिंह की भी दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गयी. मोहर सिंह बागपत जिले के भगवानपुर नांगल गांव के निवासी थे.
एक और खबर के अनुसार बीते मंगलवार की रात मानसा के गांव भादड़ा के नौजवान किसान की सड़क क्रास करते समय वाहन की टक्कर से मौत हो गई थी. गांव भादड़ा का नौजवान किसान जगसीर सिंह (31) काफी दिनों से दिल्ली के टिकरी बॅार्डर के संघर्ष में शामिल होने के लिए पहुंचा था। मंगलवार की रात वह सड़क पार कर रहा था कि किसी अज्ञात वाहन चालक द्वारा उसे टक्कर मार दी.
बीते दो दिनों से दिल्ली में सुबह बारिश हो रही है और किसान इस कड़ाके की सर्दी में भी दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए हैं.
गौरतलब है कि, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा पारित तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ देश भर में किसान आंदोलन कर रहे हैं और बीते 39 दिनों से नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग के साथ लाखों किसान दिल्ली सीमाओं पर सड़क पर बैठे हैं. इस आंदोलन में अब तक करीब 60 किसान शहीद हो चुके हैं जिनमें चार खुदकुशी शामिल हैं.
सबसे पहले संत बाबा राम सिंह फिर एडवोकेट अमरजीत सिंह और बीते शनिवार सुबह कश्मीर सिंह ने आत्महत्या कर ली और इन सभी ने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए पीएम मोदी को ठहराया है.