सरदार सरोवर जलाशय में 133 मीटर से ऊपर जलस्तर पहुंचने से गांव-गांव के साथ कृषि भूमि डूबना चालू हो चुकी है। राज्य की शिवराज सरकार का चुप रहना और केंद्र और गुजरात सरकार के सामने समर्पण करना चिंताजनक है। सरदार सरोवर के विस्थापितों के गांव-मुहल्लों, जैसे कि एकलबारा, सेमलदा, गांगली, उरदना, सेंगाव आदि गांवों के रास्ते डूब गए हैं, तो साथ ही गाजीपुरा, धरमपुरी के नर्मदा किनारे रहने वाले मछुआरों के मकान डूबने की कगार पर हैं।
जब डूब प्रभावित बढ़ते जलस्तर को लेकर चिंतित हैं तो वहीं राज्य सरकार ने अपने ही प्रदेश की जनता को डूबने के लिए छोड़ दिया है। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कोई भी पुनर्वास अधिकारी डूब वाले गाँवों में नहीं जा रहे हैं।
ऐसी स्थिति को देखेते हुए डूब प्रभावित अहिंसक तरीके से क्रमिक अनशन पर पिछले दो दिन से बैठे हुए थे, उनको मंगलवार को मनावर के नायब तहसीलदार हितेंद्र भावसार ने पुलिस बल के द्वारा जबरन हटाकर उनके पंडाल को भी तोड़ दिया और झंडे बैनर भी निकाल लिए गये।
डूब प्रभावित खुद कोरोना महामारी को देखते हुए सामाजिक दूरी के साथ मास्क का प्रयोग करके अपना क्रमिक अनशन चला रहे थे लेकिन नायब तहसीलदार ने कोरोना महामारी का बहाना बनाकर हठधर्मिता से आज उनको हटा दिया और जब डूब प्रभावितों ने उनके पुनर्वास की बात रखी तो उनको नायब तहसीलदार द्वारा पढ़े -लिखे अनपढ़ गंवार जैसे शब्द इस्तेमाल कर उन्हें धारा 144 का डर बताकर कहा कि तुम्हारे खिलाफ मुकदमा दर्ज करूंगा और जेल में डालने की धमकी देने लगे।
इस स्थिति में नर्मदा घाटी जूझ रही है। स्थानीय अधिकारियों की मर्यादा ही नहीं, मध्यप्रदेश सरकार की हार और केन्द्र, गुजरात की हठधर्मिता सामने होते हुए नर्मदा घाटी के महिला-पुरुष के साथ संघर्ष की राह पर नया कदम रखेंगे।
रणवीर तोमर, देवीसिंह तोमर, राकेश मंडलोई, भारत मंडलोई, नानुराम प्रजापत, सरस्वती चौहान, महेंद्र तोमर, राजा मंडलोई द्वारा जारी
संपर्क रोहित सिंह – 9753000153