प्रदेश में एक बार फिर से बढ़ते एनकाउंटर और उसमें मारे जाते लोग चिंता का विषय है। बढ़ते एनकाउंटर कानून के लोकतांत्रिक राज की जगह पुलिस का राज होने की मुनादी करता है। पीयूसीएल उत्तर प्रदेश इन बढ़ती घटनाओं पर चिंता व्यक्त करता है और पीयूसीएल की पीआइएल के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए इन सबकी जांच के साथ इन पर तुरंत रोक लगाए जाने की मांग करता है।
चिंता की बात यह भी है कि उत्तर प्रदेश में न सिर्फ एनकाउंटर बढ़ रहे हैं, बल्कि इन घटनाओं पर सरकार की ओर से आ रहे बयानों में ऐसी घटनाओं की प्रशंसा भी की जा रही है, जिससे पुलिस का मनोबल इस दिशा में और बढ़ रहा है। सितंबर महीने में ही हुई एनकाउंटर की दो घटनाओं, जिसमें सुल्तानपुर में मंगेश यादव को और उन्नाव में अनुज प्रताप सिंह की मौत हो गई, के बाद 22 सितंबर को राज्य सरकार के मीडिया सेल द्वारा जारी बयान में गर्व के साथ बताया गया है कि योगी राज के आने के बाद पिछले साढ़े सात वर्षों में 49 अपराधियों को एसटीएफ ने मार गिराया। बिना ट्रायल के किसी व्यक्ति को अपराधी साबित किए बगैर और कानूनी प्रक्रिया के बगैर मार देना ग्लानि की बात होनी चाहिए, न कि गर्व की। यदि कोई सरकार ऐसी कार्यवाहियों को अपनी सफलता के रूप में प्रस्तुत करें, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद खतरनाक स्थिति है।
उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार के कार्यकाल में एक हज़ार से अधिक एनकाउंटर के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और इस पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था, उसके बावजूद इस तरह की घटनाओं का रुकने की बजाय बढ़ते जाना बेहद चिंता की बात है। यह कानून के राज को खत्म करने की खुली घोषणा है।
मौजूदा दोनों एनकाउंटर के मामले में अनुज प्रताप सिंह के पिता जी ने इस “एनकाउंटर” पर सवाल उठाए हैं और इसे राजनीति से प्रेरित बताया है। हाल ही में घटी कथित एनकाउंटर की इन दो घटनाओं और इन पर उठते सवालों को स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए और इन पर तत्काल रोक लगाने के लिए दिशा निर्देश जारी करना चाहिए।
पीयूसीएल मौजूदा दो एनकाउंटर के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में बढ़ती एनकाउंटर प्रैक्टिस की कड़े शब्दों में निंदा करता है और मांग करता है कि:
1- मंगेश यादव और अनुज प्रताप सिंह के एनकाउंटर में शामिल सभी पुलिसकर्मियों पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच की जाय।
2- उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में एनकाउंटर की घटनाओं को उपलब्धि के तौर पर दिखाने की बजाय उस पर क्षोभ प्रकट किया जाय।
3- पीयूसीएल की पीआइएल के संदर्भ में जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुसार एनकाउंटर में शामिल पुलिसकर्मियों को प्रोत्साहन पुरस्कार और प्रमोशन आदि पर रोक लगाई जाए।
4- प्रदेश में होने वाली एनकाउंटर और हाफ एनकाउंटर पर तत्काल रोक लगाई जाए।
पीयूसीएल उत्तर प्रदेश द्वारा जारी
अध्यक्ष, सीमा आज़ाद
महासचिव, कमल सिंह