अयोध्या में राममंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो गया है। साथ ही प्रदेश सरकार भी पर्यटन और संस्कृति से जुड़ी तमाम योजनाएं और निर्माण कार्य करा रही है ताकि आस्था और धर्म का प्रतीक यह नगर फिर से अपने भव्य अतीत को देख सके। बाबरी-रामजन्मभूमि विवाद के बाद से इस नगर के साथ एक राजनीतिक नैरेटिव नत्थी हो गया था जो हाल-फिलहाल तो जाते नहीं दिख रहा। इससे जुड़े पक्ष पांच सौ वर्षों से इस पर लगातार चिंतन कर रहे हैं कि इस नैरेटिव का आगे क्या होगा।
बदलती हुई अयोध्या का दूसरा पक्ष है बाबरी मस्जिद के बदले मुस्लिम समाज को मिली जमीन पर बन रही मस्जिद, जिसका नाम मौलवी अहमदउल्लाह शाह के नाम पर रखा गया है, जिन्हें 1857 के गदर में अंग्रेजों के खिलाफ हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल के तौर पर जाना जाता है। अकबर ने भी तुलसीदास को प्रश्रय देकर रामचरित मानस के जरिये धार्मिक सौहार्द का माहौल बनाया था, जो उसके शासन के लिए जरूरी था। 1980 में दूरदर्शन पर प्रसारित ‘रामायण’ ने संपूर्ण क्रांति और इमरजेंसी के बाद देश में छायी असमंजस की स्थिति को आध्यात्मिक खुराक देकर भी ठीक ही किया था। राम के नाम से इस देश में हमेशा राजनीतिक नैरेटिव सेट होता रहा है।
आजकल तो रामायण पर एक फिल्म बनने की भी खूब चर्चा है, जिसमें करीना कपूर सीता का किरदार निभा सकती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अयोध्या वालों के व्यवहार से दुखी होकर सीता ने उनको शाप दिया था कि जो अयोध्यावासी उनके ऊपर हो रहे अन्याय के खिलाफ नहीं खड़े हो पा रहे हैं उन्हें कभी समृद्धि-खुशहाली नहीं मिलेगी। सीता के दिये इस शाप से उजड़ी अय़ोध्या नगरी में अबकी रौनक लौटेगी कि नहीं, इस सवाल का जवाब इस फिल्म की कथावस्तु में छुपा है लेकिन उस पर आने से पहले अयोध्या का इतिहास थोड़ा समझ लेते हैं, जिसके बारे में बहुत स्पष्ट जानकारी किसी के पास नहीं है।
कहीं-कहीं यह जिक्र आता है कि महाभारत युद्ध में अयोध्या के राजा बृहद्रथ कौरवों की तरफ से लड़े जिन्हें अभिमन्यु ने पराजित किया था। कहीं ये भी जिक्र है कि तब अयोध्या को काफी क्षति पहुंची थी। इसके बाद अयोध्या का जिक्र पांच सौ वर्ष ईसा पूर्व आता है जब कोशल के नरेश प्रसेनजीत थे, जिनकी बहन कौशला मगध सम्राट बिम्बिसार की पत्नी थीं। राजा प्रसेनजीत के समय भी कोशल राज्य की राजधानी अयोध्या न होकर श्रावस्ती बतायी जाती है। बौद्ध जातक कथाओं में भी बताया गया है कि मगध के शासक पुष्यमित्र शुंग ने अयोध्या के बौद्ध विहारों को नष्ट कर दिया था। मुग़ल शासन के समय अयोध्या पर जो विपदा पड़ी उसकी कहानी तो आये दिन सुनने-पढने को मिलती ही रहती है। अकबर ने अपने शासनक्षेत्र को 12 सूबों में बांटा जिसमें एक सूबा अवध का था। 1731 में मुगल बादशाह ने अपने नवाब सआदत खान को अवध सूबा दिया। सआदत खान के दामाद सफदरजंग ने इस नगर को धार्मिक स्वतंत्रता देकर एक बार फिर मान बढाया, लेकिन उसके पुत्र शुजाउद्दौला ने 1754 में अयोध्या से तीन मील दूर फैजाबाद बसाकर उसे अवध की राजधानी घोषित कर दिया। 1775 में शुजाउद्दौला के बेटे आसफउद्दौला ने लखनऊ बसाकर अवध की राजधानी स्थानांतरित कर दी। इसके बाद से लेकर अब तक अयोध्या को हम सिर्फ बाबरी-रामजन्मभूमि विवाद के लिए ही जानते हैं। इस तरह हम पाते हैं कि अयोध्या सीता के शाप से कभी मुक्त नहीं हो सकी।
अब ख़बरें बता रही हैं कि अयोध्या में जमीनों की कीमत कई गुना बढ़ गयी है। अयोध्या पर्यटन का बड़ा केन्द्र बनकर उभर रहा है जिससे इस नगर का विकास होना तय है। राम मंदिर निर्माण के लिए मिले चंदे से जमीन की खरीदी में घपले के आरोप के साथ रामायण की कहानी पर आधारित ‘’सीता द इनकारनेशन’’ की चर्चा भी जोरों पर है क्योंकि इस फिल्म में सीता का किरदार करीना कपूर निभाने वाली हैं। अपने बेटे का नाम तैमूर रखने की वजह से करीना हिन्दुओं के निशाने पर रही हैं। ऐसे में भारतीय समाज की सबसे आदर्श स्त्री की भूमिका में करीना कपूर को देखना एक दुविधापूर्ण स्थिति है।
हमारा देश ऐसी ही दुविधाओं का मकड़जाल है। इसी दुविधा के चलते अयोध्या को सीता का शाप लगा था जब एक धोबी द्वारा सीता के चरित्र पर सवाल खड़ा करने पर राम ने अपनी पत्नी को छोड़ने का फैसला किया था। यहां राम ने तो राजधर्म का पालन किया, लेकिन जब सीता को निकाला जाता है तो उन्हें मनाने कोई नहीं आता है। भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, मंत्री संतरी, सेवक, तीनों माताएं- चौदह वर्ष तक पति के साथ कष्ट झेलने वाली उस महिला को वापस लाने के लिए कोई नहीं जाता है। हो सकता है कि करीना कपूर सीता का किरदार न भी करें, लेकिन उस विवाद का क्या करेंगे जो सीता के जरिये इस फिल्म में दिखाया जाने वाला है? ऐसी ख़बरें हैं कि बाहुबली के लेखक विजयेन्द्र प्रसाद ‘’सीता द इनकारनेशन’’ फिल्म में रामायण की कहानी सीता के नजरिये से दिखा रहे हैं। रामकथा में विवाद इस देश को कभी पचता नहीं है।
अगर सीता के नजरिये से फिल्म बनेगी तो सीता के साथ हुआ वह अन्याय भी जरूर दिखाया जाएगा जिसके बारे में हमारा समाज हमेशा मौन रहा है, हालांकि सीता की अग्निपरीक्षा और लव कुश का राम दरबार में सीता की व्यथा सुनाने की कथाएं तो पढ़ी-सुनी जाती ही रही हैं। यह जानना काफी दिलचस्प होगा कि सीता समूचे रामायण को किस नजरिये से देखती रही होंगी। अयोध्या कांड से लेकर उत्तर कांड तक वह मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का साथ एक धर्मपारायण पत्नी की तरह निभाती हैं। सीता भारत के जनमानस में आदर्श महिला की सबसे बड़ी आइकन हैं, लेकिन समूची रामायण में सीता की दृष्टि से कोई भी विवरण नहीं मिलता है।
बाबा लाल दास का प्रेत अयोध्या में आज भी मंडरा रहा है!
वाल्मीकि रामायण से लेकर अरसे तक अनेक ऋषि-मुनि, संत विद्वानों ने अनेक रूपों में रामायण कथा लिखी है, लेकिन कोई भी रामायण सीता के नजरिये से नहीं लिखी गयी। न ही सीता की स्थिति को प्रमुखता से बताया गया। यहां तक कि मध्यकाल के हिन्दू जागरण के सबसे प्रमुख संत गोस्वामी तुलसीदास भी सीता पर कुछ नहीं कहते हैं। टीवी युग में रामानंद सागर की रामायण में भी पहले सीता के नजरिये को महत्व नहीं दिया गया था, लेकिन जनता के बेहद दबाव में उन्हें उत्तर रामायण का लवकुश कांड दिखाना पड़ा। एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद कहा कि सीता के त्याग के पीछे राम को वे दोषी नहीं मानते और वाल्मीकि रामायण में लव कुश कांड लिखा ही नहीं गया है। इंटरव्यू में रामानंद सागर कहते हैं कि तब पीएमओ से फोन आया था और उन्हें लवकुश कांड के एपिसोड बनाने पड़े।
तुलसीदास के रामचरित मानस के 400 वर्षों बाद 1980 में टीवी पर रामायण का पाठ हुआ और तब जाकर सीता की व्यथा को बड़े स्तर पर हिन्दू समाज ने देखा। उत्तर रामायण के एपिसोड 35 में ऋषि वाल्मिकी लव कुश से कहते हैं कि अब समय आ गया है कि अयोध्या वालों से प्रश्न पूछना होगा कि उन्होंने तुम्हारी माता के पवित्र आंचल पर निंदा के धब्बे क्यूं लगाये। इस एपिसोड में अगला संवाद है कि लव कुश को अयोध्या जाकर प्रजा का मत बदल कर अपनी माता के सामने नतमस्तक होना होगा जिससे अयोध्यावालों का प्रायश्चित हो सके। इस एपिसोड में सीता के सम्मान के लिए लव कुश का गीत भी दिखाया गया है जो उस वक्त काफी लोकप्रिय हुआ था।
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ऐसा लगता है कि अयोध्यावालों का प्रायश्चित अब भी अधूरा है। राममंदिर के लिए मिले चंदे से जमीन की खरीद में यदि वाकई कोई धांधली हुई है, तो यकीन मानिए कि अयोध्यावालों को सोचना पड़ेगा कि उनकी अपने राजा राम और सीता से कोई ज़ाती दुश्मनी तो नहीं है। फिल्म की कहानी क्या है ये तो फिल्म आने के बाद पता चलेगा, लेकिन सीता का शाप आज भी उस अयोध्या को फलने-फूलने से रोके हुए है जिसके बारे में कहते हैं कि आज तक वहां कोई युद्ध नहीं हुआ, लेकिन जिसने केवल दुविधा की बीमारी के चलते खुद को तबाह कर डाला।
कवर तस्वीर: मशहूर चित्रकार जैमिनी रॉय की 1940 में बनायी पेंटिंग ‘सीता’
(स्रोत: https://collections.vam.ac.uk/item/O82552/sita-painting-roy-jamini/)