लॉकडाउन में किराया माफी की मांग कर रहे हैं छात्र


• युवा-हल्लाबोल ने चलाया #NoRentForStudents मुहिम

अनुराग कश्यप, RJ साएमा के समर्थन के अलावा कुल 25 हज़ार से ज़्यादा ट्वीट के साथ दो बार कर चुका ट्रेंड

लॉकडाउन के कारण छात्रों का कठिन हो गया है कमरे का किराया देना

• change.org पर युवा-हल्लाबोल के ऑनलाईन पेटिशन को भो मिल रहा है समर्थन

केंद्र सरकार बनाये “रेंट माफी फंड” ताकि उन छोटे मकान मालिकों की भी मदद हो जिनका गुज़ारा किराए से चलता है

दिल्ली | कोरोना के खिलाफ चल रही जंग के मद्देनजर पूरा देश लॉकडाउन में है। काम धंधा रोज़गार से लेकर शिक्षण और कोचिंग संस्थान, प्रतियोगिता परीक्षाएं, ट्रेनिंग, इंटर्नशिप, पार्ट टाइम जॉब्स तक सब कुछ ठप हो गया है। ऐसे वक्त में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों से आने वाले बेरोज़गार छात्रों के लिए लॉकडाउन एक विपदा की तरह है। जो छात्र अपने गाँव घर से दूर शहर में किराये के कमरों में रहकर नौकरी ढूंढ रहे थे, उनमें से कइयों के लिए अब किराया देना असम्भव सा हो गया है।

इसीको देखते हुए युवा-हल्लाबोल आंदोलन ने #NoRentForStudents मुहिम की शुरुआत की जिसको देश भर के छात्रों का ज़ोरदार समर्थन मिल रहा है। इस मुहिम में छात्रों समेत कई शिक्षकों, पत्रकारों, कलाकारों और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया। यह कैम्पेन ट्विटर पर कुल 25 हज़ार से भी ज़्यादा ट्वीट के साथ दो बार ट्रेंड हो चुका है। छात्रों, बेरोज़गार युवाओं और छात्रों से संवेदना रखने वाले हजारों नागरिकों ने किराया माफी की मांग का समर्थन किया है।

आंदोलन के हेल्पलाईन 9810408888 पर लगातार व्यथित छात्रों के कॉल आ रहे हैं जो लॉकडाउन के कारण उत्पन्न हुई परिस्थिति में अपनी परेशानी युवा-हल्लाबोल को बता रहे हैं। 

ट्विटर पर सफल कैम्पेन चलाने के अलावा युवा-हल्लाबोल ने चेंज डॉट ऑर्ग के माध्यम से एक ऑनलाइन पेटिशन (change.org/norentforstudents) की भी शुरुआत की है। आंदोलन के प्रतिनिधि के तौर पर पेटिशन शुरू करने वाले रजत यादव बताते हैं कि अब तक ढाई हज़ार से ज़्यादा लोगों ने पेटिशन पर हस्ताक्षर कर दिया है। कई छात्रों ने तो पेटिशन पर टिप्पणी करते हुए अपना कष्ट बयान किया और अपनी आपबीती भी बताई है। रजत का कहना है कि अगले कुछ दिनों में इस पेटिशन पर हस्ताक्षर करने वालों की संख्या में और इज़ाफ़ा होने की संभावना है।

युवा-हल्लाबोल का नेतृत्व कर रहे अनुपम का कहना है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द सभी राज्यों और जिला प्रशासनों को आदेश दे कि ऐसे व्यथित छात्रों का किराया माफ हो। ज्ञात हो कि गृह मंत्रालय ने 29 मार्च के एक आदेश में पहले ही कहा है कि कोई भी मकान मालिक अपने किरायेदार को लॉकडाउन के दौरान निकाल नहीं सकता है। इसका मतलब ये हुआ कि असमर्थ किरायेदार अगर पैसे न दे पाए तो भी मकानमालिक उन्हें निकाल नहीं सकते। ऐसे में अगर स्पष्ट शब्दों में किराया माफी का आदेश नहीं आता तो मकान मालिक और किरायेदार के बीच असमंजस और कई मामलों में झड़प की स्थिति बन सकती है। अनुपम ने ये भी कहा कि केंद्र सरकार चाहे तो एक “रेंट माफी फंड” बना सकती है जिससे उन छोटे मकान मालिकों को भी मदद दी जा सकेगी जिनके लिए मकान किराया ही गुज़ारे का साधन और एकमात्र आय का स्रोत है। 

युवा-हल्लाबोल आंदोलन की पहचान रही है कि जब कोई बीड़ा उठाये तो उसको अंजाम तक पहुंचाने की भी पूरी कोशिश करता है। युवा-हल्लाबोल के रमन ने बताया कि इसी क्रम में सुप्रीम कोर्ट में लेटर पेटिशन दायर करने की भी उनकी योजना है। रमन बताते हैं कि युवा-हल्लाबोल की लीगल टीम इसपर विचार कर रही है और अगले एक दो दिन में ही उचित कार्यवाई करके सूचना दी जाएगी।

ये निस्संदेह सराहनीय है कि देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन का पालन करते हुए भी युवा-हल्लाबोल छात्रों की आवाज़ को वैकल्पिक माध्यमों से बुलंद करने में कामयाब रहा है और समाधान सुझाने के प्रयास कर रहा है। आंदोलन के नेशनल कॉर्डिनेटर गोविंद मिश्रा बताते हैं कि ये उनकी टीम की रचनात्मकता है जिसके कारण हर परिस्थिति में युवा-हल्लाबोल अपने उद्देश्य पर चलने का प्रयत्न कर पाती है।


For Queries Contact,
Rajat: 9810408888   
Media Team – Yuva Halla Bol


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

3 Comments on “लॉकडाउन में किराया माफी की मांग कर रहे हैं छात्र”

  1. May I just say what a relief to discover someone who really knows what they are
    talking about on the internet. You certainly realize how to bring an issue to light and make it important.
    More people really need to read this and understand this side
    of the story. I was surprised you’re not more popular because you surely
    have the gift.

  2. This is really interesting, You’re a very skilled blogger.
    I have joined your rss feed and look forward to seeking more of your excellent post.
    Also, I have shared your web site in my social
    networks!

  3. Hey I know this is off topic but I was wondering if you knew of any widgets I could add to my
    blog that automatically tweet my newest twitter updates.
    I’ve been looking for a plug-in like this for quite some time and was hoping maybe you would have some experience with something
    like this. Please let me know if you run into anything.
    I truly enjoy reading your blog and I look forward to your new updates.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *