UP के दर्जन भर जिलों में आदिवासियों के ST दर्जे पर खतरा, AIPF ने लिखा CM को पत्र


उत्‍तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा 16 जुलाई को जाति प्रमाणपत्र बनाने के लिए जारी शासनादेश से सोनभद्र के गोंड़, खरवार, पनिका समेत 2003 में अनुसूचित जनजाति का दर्जा पायी जातियां इस दर्जे से वंचित हो सकती हैंं।

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) अधिनियम 2002 द्वारा 8 जनवरी 2003 को प्रदेश की आदिवासी गोंड़ जाति को सोनभद्र, मिर्जापुर समेत 13 जनपदों में, खरवार को सोनभद्र समेत 5 जनपदों में, पनिका व चेरो को सोनभद्र समेत 2 जनपदों में, बैगा, अगरिया, पठारी, चेरो, भुइंया, परहिया को सोनभद्र जनपद में और सहरिया को ललितपुर जनपद में अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया गया था। नये शासनादेश में संसद द्वारा पारित और भारत के राजपत्र में प्रकाशित इस अधिनियम का उल्लेख ही नहीं है।

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ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और आदिवासी वनवासी महासभा की तरफ से मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर आशंका जतायी गयी है कि इसके कारण आदिवासी का दर्जा पायी जातियों को जनजाति का जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा बल्कि संदेह है कि इन्हें अनुसूचित जनजाति का जाति प्रमाण पत्र जारी ही नहीं होगा। 

पत्र में कहा गया कि एक तरफ प्रदेश की आदिवासी जाति कोल व धांगर को अनुसूचित जनजाति का दर्जा आज तक नहीं मिला और चंदौली जनपद की गोंड़, खरवार व चेरों को अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मि‍लित भी नहीं किया गया है। हालात इतने बुरे है कि आदिवासी धांगर जाति का अनुसूचित जाति का दर्जा भी छीन लिया गया है और उनके जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने पर पुनः रोक लगा दी गयी है। उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग द्वारा लगातार विधि के विरुद्ध और मनमर्जीपूर्ण कार्यवाहियां की जा रही हैं। 

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प्रेस को जारी अपने बयान में आइपीएफ ने कहा कि प्रदेश में लगातार आदिवासियों पर जारी आरएसएस-भाजपा सरकार के हमलों और विशेषकर उनके आदिवासी दर्जे की समाप्ति की कोशिश के खिलाफ बड़े पैमाने पर हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा और जुलाई में जारी शासनादेश को संशोधित कर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकार संरक्षित व सुरक्षित करने की सीएम से मांग आदिवासी समाज करेगा।


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