भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार किये गये देश के 16 जाने-माने बुद्धिजीवियों को सलाखों के पीछे गये पूरे तीन साल हो गये हैं। इनमें लेखक, कवि, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, पत्रकार, शिक्षक सभी शामिल हैं। तीन साल से लगातार इन्हें हिा करने के लिए आवाज़ें उठ रही हैं। ताजा कड़ी में दुनिया भर के अकादमिकों ने बीके-16 यानी भीमा कोरेगांव प्रकरण के 16 कैदियों को रिहा करने के लिए अपनी आवाज़ उठायी है और एक बयान जारी करते हुए उसे महत्वपूर्ण लोगों को भेजा है।
![](https://junputh.com/wp-content/uploads/2021/06/WhatsApp-Image-2021-06-11-at-16.05.34.jpeg)
इस मौके पर आज ही बीके-16 के परिजन एक जूम मीटिंग पर जुड़ रहे हैं। यह बैठक तीन घंटे चलेगी। इसे पीयूसीएल के फेसबुक पेज पर लाइव देखा जा सकता है। इसी बैठक में एक किताब का भी लोकार्पण किया जा रहा है जिसका नाम है ‘’सलाखों में कैद आवाज़ें’’।
इस बीच गुरुवार को दुनिया भर के 50 से ज्यादा अकादमिक विद्वानों ने बीके-16 को कोरोना के आलोक में रिहा करने के लिए एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें नोबेल पुरस्कार विजेता ओल्गा तकार्जुक और वोले शोयिंका भी शामिल हैं।
इंटरनेशनल सॉलिडरिटी फॉर अकेडमिक फ्रीडम इन इंडिया नामक प्रवासी बुद्धिजीवियों के एक समूह की पहल पर 50 से ज्यादा बौद्धिकों द्वारा जारी इस बयान को दुनिया भर के 1200 से ज्यादा विद्वानों ने समर्थन दिया है। इस बयान को नीचे पढ़ा जा सकता है।
InSAF-India_Covid-19-Urgent-Appeal_Release-of-Indian-Human-Rights-Defenders_June-2021