फेदरिको गार्सिया लोर्का |
स्पेन के समकालीन इतिहास की सबसे बड़ी पहेली को सुलझाने का दावा एक स्थानीय इतिहासकार ने किया है। दक्षिण में स्थित ग्रेनाडा शहर के रहने वाले मिगेल कबालेरो पेरेज़ का कहना है कि उन्होंने महान नाटककार और कवि लोर्का की असली क़ब्र खोज निकाली है।
ब्लड वेडिंग, येर्मा और दी हाउस ऑफ बर्नार्दा आल्बा जैसी रचनाओं के लेखक फेदरिको गार्सिया लोर्का को स्पेन के गृह युद्ध के शुरुआती दिनों में एक दक्षिणपंथी बंदूकधारी दस्ते ने गोली मार दी थी। लोर्का के जीवन के आखिरी 13 घंटों के घटनाक्रम को जोड़ने के लिए पेरेज़ ने पुलिस और सैन्य अभिलेखों को छानने में तीन बरस बिता दिए।
उन्होंने अब दावा किया है कि आधा दर्जन पुलिसवालों और बंदूकधारियों के जिस दस्ते ने लोर्का समेत तीन अन्य बंदियों को गोली मारी थी, उनकी पहचान उन्होंने कर ली है। पेरेज़ ने उनकी क़ब्र को भी खोज निकालने की बात कही है। लोर्का की मौत के लिए उन्होंने ग्रेनाडा के कुछ बेहद रईस परिवारों और खुद गार्सिया कुल के बीच लंबे समय से चली आ रही सियासी और कारोबारी रंजि़श को जि़म्मेदार ठहराया है।
दी लास्ट 13 आवर्स ऑफ गार्सिया लोर्का नाम की किताब में अपनी खोज को प्रकाशित करने वाले पेरेज़ कहते हैं, ‘मैंने लोगों के इक़बालिया बयानात लेने की जगह अभिलेख सामग्री में तथ्यों को खोजने का फैसला लिया क्योंकि इतने ढेर सारे तथाकथित गवाह अपने-अपने तरीके से तथ्यों को तोड़-मरोड़ देते हैं।’
कबालेरो ने बताया कि शुरू में उनका ख्याल था कि साठ के दशक में स्पेन के एक पत्रकार एदुआर्दो मोलीना फजार्दो द्वारा इकट्ठा की गई सूचनाओं का सत्यापन किया जाए क्योंकि यह पत्रकार खुद तानाशाह फ्रांको का समर्थन करने वाले अतिदक्षिणपंथी संगठन फलांगे का सदस्य रहा था।
कबालेरो के मुताबिक, ‘अपनी राजनीतिक संबद्धता के चलते फजार्दो की उन लोगों तक आसान पहुंच थी जो उसे हंसी-खुशी सचाई बयां करने को तैयार थे। अभिलेखों में अधिकतर वे ही बातें सामने आईं जो उसने बताई थीं, लिहाज़ा यह मानना भी तर्कसंगत ही होगा कि उसने लोर्का की क़ब्रगाह का जो पता बताया था, वो सही था।’
माना जाता है कि जिस जगह पर लोर्का को दफ़नाया गया, वहां किसी ने पानी की तलाश में एक गड्ढा खोदा था। यह जगह विज्नार और अल्फाकार नाम के दो गांवों के बीच स्थित एक फार्म कार्तिजो दे गज़पाचो के पास खुले मैदान में है। सन 1971 में इतिहासकार इयान गिब्सन ने लोर्का की कब्र का जहां पता दिया था, वहां से यह जगह महज़ आधा किलोमीटर की दूरी पर है। गिब्सन की बताई जगह पर 2009 में खुदाई हुई थी और उस पर काफी विवाद भी हुआ, लेकिन वहां सबूत के तौर पर कोई हड्डी नहीं मिली थी।
कबालेरो बताते हैं, ‘इस नई जगह की खोज में वाकई दम है, क्योंकि यह रिहायशी इलाके से पर्याप्त दूर है, कि यहां न तो देखा जा सकता है और न ही यहां हुई कोई आवाज़ सुनाई दे जा सकती है। हां, आप वहां कार से ज़रूर पहुंच सकते हैं, और इसकी तस्दीक करने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि निश्चित तौर पर रात में यहां लोगों को गोली मारने के लिए उन्हें हेडलाइट की ज़रूरत पड़ी होगी।’ कबालेरो यहां पानी की खोज करने वाले एक शख्स को लेकर गए थे। उसने वहां पानी खोजने के लिए लोर्का के दौर में प्रचलित पुराना तरीका अपनाया जिसमें एक टहनी से भूजल स्तर की थाह ली जाती है। उसने बताया वहां शायद एक भूमिगत जल स्रोत था। कबालेरो कहते हैं, ‘इसलिए यह मानना तर्कसंगत होगा कि किसी ने यहां भूमिगत जल स्रोत की तलाश में निश्चित तौर पर एक गड्ढा खोदा होगा।’
एक पुरातत्व विज्ञानी जेवियर नवारो ने यहां ज़मीन में एक गड्ढे की पहचान की है जिससे यहां क़ब्र होने के संकेत मिलते हैं। स्पेन के दूसरे इलाकों में गृह युद्ध के दौर की करीब आधा दर्जन क़ब्रों की खोज कर चुके नवारो के मुताबिक, ‘यह सोचना गलत न होगा कि यहां एक क़ब्र है। इससे खोज निकालना काफ़ी आसान है। एक तजुर्बेकार पुरातत्ववेत्ता को बस सतह से करीब 40 सेंटीमीटर मिट्टी निकालनी होगी, और वह बता देगा कि यह ज़मीन पहले कभी खोदी गई है या नहीं।’
सन 1936 की गर्मियों में करीब आधा दर्जन बंदूकधारियों के एक गिरोह ने सैकड़ों संदिग्ध वामपंथियों को गोली मार दी थी। मारे गए लोगों में लोर्का भी थे। तानाशाह फ्रांको के कुत्सा राष्ट्रवादी एजेंडे को आगे बढ़ाने के इस काम के बदले इन हत्यारों को 500 पेसेटा का पुरस्कार और पदोन्नति मिली। कबालेरो कहते हैं, ‘मैं इन्हें भाड़े के हत्यारे कहना ज्यादा पसंद करूंगा क्योंकि इनमें भले कुछ लोग स्वयंसेवक रहे हों, लेकिन कुछ पुलिसकर्मी भी थे जिनके इंकार करने पर खुद मारे जाने का डर था।’ कहते हैं कि एक ने तो शिकायत भी की थी कि यह नौकरी ‘उसे पागल किए दे रही है’। दस्ते में शामिल कुछ को तो पता भी नहीं था कि लोर्का कौन है। कबालेरो के मुताबिक, ‘ये कविता पढ़ने वाले लोग नहीं थे क्योंकि लोर्का के पाठक अधिकतर अभिजात्य थे। लोर्का के बजाय इन बंदूकधारियों की ज्यादा दिलचस्पी उन दो अराजकतावादियों में रही होगी जो उनके साथ मारे गए थे, क्योंकि वे दोनों ज्यादा कुख्यात थे।’ इसके बावजूद दस्ते के दो कमांडर लोर्का को जानते थे। उनमें एक 53 साल का अक्खड़ पुलिसवाला मारियानो अजेन्जो था और दूसरा कमांडर अंतोनियो बेनाविदे जो कि स्वयंसेवक था, लोर्का के पिता की पहली पत्नी का रिश्तेदार था। बताया जाता है कि बाद में बेनाविदे ने गर्व से एलान किया था, ‘मैंने उस मोटी बुद्धि वाले को सिर में गोली मारी थी।’
दक्षिणपंथी रोल्दान परिवार की लोर्का के पिता के साथ सियासी रंजि़श थी। इसी परिवार ने शहर के फ्रांको समर्थक प्रशासनिक अधिकारियों को लोर्का को गिरफ्तार कर गोली मारने के लिए राज़ी किया था। रोल्दान कुल का ही एक सदस्य बेनाविदे गोली मारने वाले दस्ते का सदस्य बना। उसका एक चचेरा भाई कुछ ही महीने पहले मंचित लोर्का के नाटक दी हाउस ऑफ बर्नार्दो आल्बा में अभिनय कर चुका था। लोर्का ने इस नाटक में उसे खलनायक की भूमिका दी थी और जान-बूझ कर अपने दुश्मन आल्बा परिवार पर निशाना साधा था। कबालेरो के मुताबिक, ‘वे लोग लोर्का के पिता से नाराज़ थे, लेकिन अपना बदला उन्होंने बेटे को मार कर लिया।’
बेनाविदे को छोड़ दें तो बंदूकधारी दस्ते के किसी भी सदस्य को अपने किए पर गर्व नहीं था। कबालेरो बताते हैं, ‘उनमें से किसी ने भी इस सब के बारे में अपने परिवार से बात तक नहीं की। उन्हें आज भी प्यारे बुजुर्गों वाला सम्मान हासिल है, क्योंकि उन्होंने गृह युद्ध के बारे में अपनी ज़बान हमेशा बंद रखी।’
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