आज दिल्ली के प्रेस क्लब में हुई किसान आंदोलन की पहली प्रेस कान्फ्रेंस में किसान नेताओं ने माना कि सरकार की वार्ताओं के कारण युवा किसानों का धैर्य जवाब दे रहा है और आंदोलन के भीतर कोशिश की जा रही है कि किसी भी अवांछित घटना से बचा जाय। संदर्भ 31 दिसंबर को शाहजहांपुर बॉर्डर पर हुई घटनाओं का था।
बैरिकेड तोड़ रेवाड़ी पहुंचे किसानों में नेतृत्व से असंतोष, ‘असामाजिक तत्व’ कहे जाने पर रोष
शाहजहांपुर में 31 दिसंबर को बैरिकेड तोड़े जाने की घटना और उन किसानों को आरएसएस व असामाजिक तत्व कहे जाने के आरोपों के पीछे पूरा मामला क्या था, इस बारे में जनपथ की ओर से पूछे गये सवाल पर योगेंद्र यादव ने बताया:
मैं चूंकि वहां पर था और मुझे जिम्मेदारी दी गयी थी, वे हमारे अपने ही साथी थे जो उत्साह में थे, जोश में आये। मैं इनको कोई आरएसएस बीजेपी के तत्व नहीं कहता। उन्हें लगा कि इतने दिन वार्ता हुई और कुछ नहीं निकल रहा। वे ट्रैक्टर लेकर आगे बढ़ गये। कमेटी ने यह तय किया था कि आगे नहीं जाना है लेकिन वे नहीं माने। हमने सर्वसम्मति का फैसला उन तक पहुंचा दिया। हम उन्हें आरएसएस आदि नहीं कह रहे।
इस बारे में डॉ. दर्शन पाल ने बताया:
इसके बारे में कल संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में बात हुई है। हमारे साथी आज वहां जा रहे हैं। कुछ नासमझी है, हम उसे हल कर लेंगे। वहां की लोकल कमेटी और संयुक्त किसान मोर्चा की कमेटी इसको रिजाल्व कर लेगी। इस तरह की प्रॉब्लम जब लंबा संघर्ष होता है, आती हैं। हम कोशिश कर रहे हैं कि रिजॉल्व कर लेंगे।
शाहजहांपुर से बैरिकेड तोड़कर रेवाड़ी पहुंचे किसानों ने आरोप लगाया है कि उन्हें माफी मांगने को कहा गया है। इस बारे में एक वीडियो सामने आया है।
इस पर सवाल पूछे जाने पर किसान नेताओं ने उसे अनसुना कर दिया और वार्ता का संचालन कर रहे योगेंद्र यादव ने दूसरे पत्रकार का सवाल ले लिया।