कोरोना की दूसरी लहर ने स्वास्थ्य तंत्र की पोल खोल के सिस्टम को नंगा कर दिया है


देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा कर धूल-धूसरित हो गई है। हर तरफ हाहाकार पसरा हुआ है। कोविड से पैदा हुआ स्वास्थ्य संकट हर सीमा और अड़चन को तोड़कर विकराल रूप धारण कर चुका है। इन दिनों जो कोई भी देश के किसी भी कोने में अस्पताल का चक्कर लगाया होगा वो इस विकट स्थिति की पुष्टि करेगा। पिछले कई दिनों में कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन के अभाव में अस्पताल से श्मशान तक का एक अंतहीन सिलसिला सा चल पड़ा है। एक तरफ जहां अस्पतालों में जगह कम पड़ रही है वहीँ दूसरी तरफ श्मशान की सीमा का विस्तार किया जा रहा है। कोविड के इस दूसरे चक्र में पिछले कुछ दिनों में लोग सबसे ज्‍यादा हताहत ऑक्सीजन के अभाव में हुए हैं या हो रहे हैं।

देश की राजधानी दिल्ली की स्थिति और भी भयावह है, जो लगातार बद से बदतर होती जा रही है। दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से लोग छटपटा कर दम तोड़ रहे हैं। मरीज एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक ऑक्सीजन के साथ एक अदद बेड की तलाश में भटक रहे हैं। अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की समुचित व्यवस्था नहीं हो पा रही है। मरीज और उनके परिजनों को ऑक्सीजन सिलिंडर के साथ एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक बदहवास भागते-दौड़ते देखना अब आम हो चला है।

दिल्ली के कोविड अस्पतालों से लगातार दिल दहलाने वाली खबरें मिल रही हैं, जैसे कि सर गंगाराम अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में 25 लोगों की मृत्यु और जयपुर गोल्डन अस्पताल में ऑक्सीजन के अभाव में 20 लोगों की मौत। ये घटनाएं दिल्ली के कोविड अस्पतालों में ऑक्सीजन की भयानक कमी को उजागर करती हैं।

इस विस्फोटक स्थिति में कोविड अस्पतालों के संचालक और प्रशासक घुटनों पर आ गए हैं और लगातार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि ऑक्सीजन के अभाव में स्थिति उनके बूते से बाहर होते जा रही है। इस भयावह स्थिति का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि AIIMS जैसे अस्पताल ने भी आपातकालीन सेवा बंद कर दी, इसके साथ हीं कई अन्य नामचीन अस्पतालों ने ऑक्सीजन के अभाव में मरीज़ों को अस्पताल खाली करने के दिशानिर्देश दिए हैं तथा नए मरीजों की भर्ती रोक दी है। इसके अलावा कोविड अस्पताल समय-समय पर ये विज्ञप्ति जारी कर रहे हैं कि किसी के पास मात्र घंटे भर का ऑक्सीजन शेष है तो किसी के पास आधे घंटे का। ऐसे में चारों तरफ अफरा-तफरी का माहौल है। स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा सी गई है।

इस अफरातफरी के माहौल ने जहां एक तरफ आम जन के जीवन को संकट में धकेल दिया है वहीं दूसरी तरफ ‘आपदा में अवसर’ ढूँढने वाले लोगों की एक फ़ौज सी खड़ी कर दी है। इन लोगों ने आवश्यक दवाइयों, इंजेक्शन तथा अन्य आवश्यक सामग्रियों की कालाबजारी चरम पर पहुंचा दी है और हद तो ये है कि इन गिद्धों की कलुषित नज़र जीवनरक्षक सामग्रियों के साथ-साथ कफ़न से लेकर चिता की लकड़ियों तक टिकी हुई है। इस व्यवस्थित लूट में केंद्रीय राजनेताओं और जन प्रतिनिधियों की भी हिस्सेदारी दिख रही है।

हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि ये हालत पूरे एक साल कोविड के चपेट में बिताने के बाद हुई है। बीते एक साल से अनेक वैज्ञानिक संस्थाओं, डॉक्टर्स तथा कोविड विशेषज्ञों ने सरकार को हर तरह से चेताया तथा आगाह करते रहे कि आने वाला समय विस्फोटक रूप अख्तियार करने वाला है जिसके लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने की आवश्यकता है, लेकिन तथाकथित ‘मजबूत सरकार’ उन तमाम चेतावनियों और विमर्शों को ख़ारिज करते रही। इसके उलट ये हर तरह के ऊलजुलूल टोटकों तथा घरेलू नुस्खों को कोविड से बचाव के रूप में प्रचारित तथा प्रसारित करते रही। गौमूत्र, गोबर तथा काढ़ा के उपयोग का अवैज्ञानिक संदेश समय-समय पर बीमारी से बचाव के रूप में प्रसारित किया गया। कुंभ में शाही स्नान, हनुमान चालीसा तथा रामचरितमानस के नियमित पाठ को कोविड से बचाव में कारगर बताया गया और अंततः अवैज्ञानिक दृष्टिकोण से परिपूर्ण और सत्ता के नशे में चूर सरकार और संकीर्ण मानसिकता वाली सरकारी तंत्र ने आम जन को इस आपदा में धकेल दिया है।

ऑक्सीजन, दवाइयों तथा समुचित इलाज़ के अभाव में लोग जीवन तथा मृत्यु के दुष्चक्र में फँसे पड़े हैं और निरंतर हाहाकार कर रहे हैं। इस गंभीर हालात में भी सरकार अन्य क्रियाकलापों में व्यस्त है और प्रत्यक्ष रूप से प्रभावकारी कदम नहीं उठा रही है। ‘फ्री एंड कंपल्सरी मेडिकल हेल्थ’ कभी भी हमारे जनमानस और राजनीतिक चेतना का हिस्सा नहीं रहा है। उस पर स्वास्थ्य सेवाओं और सुविधाओं को खुले बाजार की लूट-खसोट के हवाले कर देना एक जानलेवा कदम रहा है, जिसकी अभिव्यक्ति समय-समय पर इसी तरह के नरसंहार के रूप में सामने आती रही है। इस पर भी ये अभी भी हमारे आम राजनीतिक चेतना, विमर्श और संघर्ष का केंद्र बिंदु बनने में असफल रहा है। कोरोना के इस दूसरे चक्र ने भारत की चिकित्सा व्यवस्था को एक बार फिर से नंगा कर दिया है और केंद्र तथा राज्य सरकार के स्वास्थ्य सेवाओं संबंधित जुमलों और लुभावनी बातों की मिट्टी पलीद कर दी है।


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