खेती उपज की खरीदी क्यों नहीं करता राज्य शासन?

एक ओर कोरोना व्हायरस जैसी और अन्य कुपोषण, TB जैसी बिमारियों का सामना करने के लिए देश के गरीबों को न हि पर्याप्त राशन, न हि सकस आहार….. और दूसरी ओर …

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UP: लॉकडाउन के बीच ‘भूख के विरुद्ध भात’ के लिए उपवास

लखनऊ, 12 अप्रैल। लॉकडाउन में गरीबों को राशन समेत जरूरी वस्तुएं निःशुल्क मुहैया कराने के लिए भाकपा (माले) के देशव्यापी आह्वान पर रविवार को प्रदेश के विभिन्न जिलों में दिन …

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(फ्री) सेक्स विमर्श को यहां से देखो राष्ट्रवादियों!

यौन संतोष और आर्थिक फायदा – विवाह के ये दो अहम स्तंभ हैं. सैकड़ों सालों से ऐसा ही चला आ रहा है लेकिन अब स्थितियां अदृश्य रूप से बदल रही हैं.  दरअसल, उत्पादन संबध बदल रहे हैं इसीलिए. तेजी से पसरते हुए मध्यवर्ग का एक तबका फ्री सेक्स के विचार को सैद्धांतिक तौर पर भले ही न माने लेकिन इसकी व्यावहारिकता से शायद ही परहेज करेगा.

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वायरस बनाम इंसानियत की जंग में चिकित्सा पद्धतियों के प्रति पूर्वाग्रह सबसे बड़ा दुश्मन है!

कोरोना वायरस महामारी के वैश्विक संकट के दौर में होमियोपैथी को याद करना न केवल प्रासंगिक है बल्कि यह आज के दौर की एक महत्वपूर्ण ज़रूरत भी है। चिकित्सा विज्ञान …

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कोरोना, पूंजीवाद और सभ्यता: इस दौर के बाद पूछे जाने वाले कुछ सवाल

आखिर किस पर दोष मढ़ा जाय? कुछ वक्त तक तो निशाने पर चीन रहा, जब तक कि हिंदुस्तानियों का सबसे पसंदीदा शिकार परदे पर नमूदार नहीं हो गया- आप जानते …

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कोरोना वायरस से क्यों कांप रही है दुनिया?

कोरोना वायरस का नाम अब किसी परिचय का मोहताज नहीं है। दुनिया का कोना-कोना अब कोरोना से वाकिफ़ है। वैश्वीकरण यहाँ साफ तौर पर साकार दिखता है। बीमारी, बीमारी की …

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Corona Diaries: चौदह दिन का घरवास

  03.04.2020 इंसान के मनोभावों में भय सबसे आदिम प्रवृत्ति है। इसी भय ने हमें गढ़ा है। सदियों के विकासक्रम में इकलौता भय ही है, जो अब तक बना हुआ …

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“मैं प्रेम में भरोसा करती हूं. इस पागल दुनिया में इससे अधिक और क्या मायने रखता है?”

  एलिज़ाबेथ वुर्त्ज़ेल के शब्दों में उनकी मौत से पहले बीता वक्त     टूटी शादियों वाली इस अस्तव्यस्त धरती से मेरा सलाम. यह सराय अब टूटकर बिखर रहा है. …

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