प्रति,
श्री भूपेश बघेल,
मुख्य मंत्री निवास,
सिवल लाइंस, रायपुर, छत्तीसगढ़ – 492001
विषय: भिलाई औद्योगिक क्षेत्र से श्रमिकों की बेदखली और उनके घरों को ढहाने से रोकने के संबंध में |
महोदय,
भिलाई औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की बेदखली और उनके आवास हक के उल्लंघन के संबंध में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय को कुछ जरूरी सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।
यह पत्र मज़दूर संगठनों, नागरिक हकों के लिए काम कर रहे संगठनों और अन्य नागरिकों की तरफ से भेजा जा रहा है जो मज़दूर अधिकारों और हकों के लिए चिंतित हैं और भिलाई औद्योगिक क्षेत्र के घटनाक्रम को समझते आ रहे हैं।
भिलाई के बिजली नगर इलाके की हाथखोज बस्ती में करीब 30 फैक्ट्री श्रमिकों के घरों को अगले हफ्ते में ढहाने वाले हैं, जिसके कारण 100 अधिक लोग जिनमें 50 बच्चे हैं, बेघर हो जाएंगे। यह बस्ती 30 से अधिक सालों से यहाँ बसी हुई है पर अब इसको ढहाने की योजना बनाई जा चुकी है क्योंकि जिस ज़मीन पर यह बस्ती है वह छत्तीसगढ़ शासन के वाणिज्य एवं उद्योग विभाग की है, जो की इस ज़मीन पर नए औद्योगिक इकाइयाँ शुरू करना चाहता है। इन श्रमिकों को कोई वैकल्पिक आवास नहीं दिया गया है और उनके पुनर्वास के लिए भी कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
यह घर, यह सारे मकान आस पास की फैक्टरियों में काम कर रहे फैक्ट्री मजदूरों ने अपने खुद के दशकों की मेहनत और खून-पसीने से बनाए हैं। इतने सालों में इनकी बस्ती को पानी और बिजली कनेक्शन भी कानूनी तरीके से मिल चुके हैं। यहाँ के निवासियों ने न केवल नियमित रूप से सारी उपयोगिताओं के बिलों का भुगतान किया है बल्कि वे अपने घरों की ज़मीन का संपत्ति कर भी देते आ रहे हैं। इसके बावजूद, 17 जुलाई 2020 को बुल्डोज़र आए और बस्ती को ढहाना शुरू कर दिया। उन्होंने करीबन 10 चाय की दुकान और छोटी अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान कल तक गिरा डाले, इससे पहले कि लोग उन्हें अपना सामान इकट्ठा करने के लिए उन्हें कुछ दिन देने के लिए मना लें। बाकी बस्ती उजाड़ने का काम आने वाले सप्ताह में जारी रहने की उम्मीद है।
यह तीस घर इस विध्वंस की चपेट में आने वाले पहले घर हैं। भिलाई औद्योगिक क्षेत्र में कई ऐसी “अवैध” मज़दूर बस्तियां हैं, क्योंकि श्रमिकों के आवास के लिए औद्योगिक क्षेत्र के अधिकतर हिस्सों में कभी कोई प्रावधान किए ही नहीं गए। जब भिलाई औद्योगिक क्षेत्र के निर्माण के लिए दशकों पहले भूमि का अधिग्रहण किया गया था, तो स्वच्छ और विशाल श्रम शिविरों और श्रमिक कॉलोनियों में औद्योगिक श्रमिकों के आवास के लिए कई वादे किए गए थे – लेकिन ये कभी नहीं बनाए गए।
अधिग्रहित की गई भूमि केवल औद्योगिक इकाइयों को आवंटित की गई, जिसमें श्रमिकों और उनके परिवारों के आवास के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। अब, जब श्रमिकों ने अपने घरों और कॉलोनियों को बनाने के लिए कड़ी मेहनत की है, उन्हें एक महामारी और एक धीमी अर्थव्यवस्था के बीच में अपने ही घरों से बाहर खदेड़ा जा रहा है। इस सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के दौरान श्रमिकों की घरों से बेदखली, मजदूरों और उनके परिवारों के लिए विनाशकारी साबित होगी, और उन्हे कोविड़ महामारी का शिकार बनाएगा।
हम मांग करते हैं कि –
1. हाथखोज के बिजली नगर क्षेत्र में घरों और अन्य प्रतिष्ठानों को दहाने के कार्य को तत्काल रोका जाए|
2. बिजली नगर के निवासियों को वैकल्पिक आवास में बसाया जाए, उनके कार्य स्थलों के करीब, स्कूलों और अस्पतालों तक पहुंच के साथ|
3. बारिश के मौसम की अवधि एवं कोविड़ के दौरान किसी को भी जबरन नहीं हटाया जाए|
4. जिन घरों/दुकानों/इमारतों को तोड़ दिया गया है उनके मालिकों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए
हम अपेक्षा करते है कि आप मजदूरों के अधिकारों का सम्मान करते हुए, संवेदनशील कार्यवाही करेंगे |
धन्यवाद
जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के राष्ट्रीय सलाहकारों, समन्वयकों और संयोजकों की और से