सीमा और विश्वविजय पर आए निचली अदालत के फैसले के बाद ज़रूरी हो गया है कि विरोध की आवाज़ों को कुचलने की ऐसी सरकारी साजि़शों का पुरज़ोर विरोध हो। बिनायक सेन से लेकर प्रशांत राही के मामले तक सभी स्वतंत्रचेता, तरक्कीपसंद और जुझारू लेखक-पत्रकार साथियों ने अपना हाथ आगे बढ़ाया है। इसी उम्मीद के साथ कि पहले की तरह हमारी एकजुटता इस बार भी कुछ रंग लाए, इस बार भी एक बयान जारी किया जाना है जिसे नीचे दिया जा रहा है। कृपया इस पर अपने दस्तखत करने के लिए / अपनी सहमति देने के लिए आप प्रतिक्रिया में ‘हां’ लिख देवें या फिर सब्जेक्ट में एक yes लिख कर इस पते पर ब्लैंक मेल भी भेज सकते हैं … junputh@gmail.com
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता सीमा आजाद और उनके पति विश्व विजय को देशद्रोह और राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप मंे गैर कानूनी गतिविधि निवारण कानून (यूएपीए) के विभिन्न प्रावधानों के तहत इलाहाबाद की एक निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा देकर एक बार फिर इस बात की पुष्टि की है कि यह व्यवस्था जनतांत्रिक विरोध की हर आवाज को कुचलने पर आमादा है। आठ जून को उम्रकैद की सजा का आदेश जारी करते हुए इन दोनों लोगों पर 70 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इन पर आरोप है कि ये दोनों भूतपूर्व छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सदस्य हैं और ‘गैर कानूनी गतिविधियों’ में शामिल है।
सीमा आजाद और विश्व विजय को 6 फरवरी 2010 को उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क फोर्स ने इलाहाबाद में उस समय गिरफ्तार किया जब ये लोग दिल्ली से विश्व पुस्तक मेला देखने के बाद लौट रहे थे। एसटीएफ का दावा था कि इनके पास से माओवादी साहित्य बरामद किया गया है और ये दोनों प्रतिबंधित माओवादी पार्टी से संबद्ध हैं। एसटीएफ ने इस मामले को उत्तर प्रदेश के आतंकवाद विरोधी स्क्वैड को हस्तांरित कर दिया।
सीमा आजाद द्वैमासिक पत्रिका ‘दस्तक’ की संपादक तथा पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) उत्तर प्रदेश के संगठन सचिव के बतौर नागरिक अधिकार आंदोलनों से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनके पति विश्व विजय छात्र आंदोलन और इंकलाबी छात्र मोर्चा के सक्रिय कार्यकर्ता हैं। सीमा आजाद ने अपने लेखन व पत्रकारिता के जरिए और विश्व विजय ने अपनी राजनीतिक सक्रियता के जरिए पूर्वी उत्तर प्रदेश में मानवाधिकारों पर हो रहे दमन के खिलाफ लगातार आवाज उठायी। इन दोनों का कार्य क्षेत्र इलाहाबाद व कौशाम्बी जिले का कछारी क्षेत्र रहा है जहां माफिया, राजनेता व पुलिस की मिलीभगत से अवैध तरीके से बालू का खनन किया जा रहा है और इस प्रक्रिया में काले धन की कमाई के साथ-साथ मजदूरों का भीषण दमन और शोषण जारी है। इन दोनों राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने पुलिस-माफिया-राजनेता गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठायी जिससे वे सत्ता की आंख की किरकिरी बन गए थे। ये दोनों युवा जिन गतिविधियों और क्रियाकलाप में लगे थे उन्हें न तो किसी भी तरीके से गैर कानूनी कहा जा सकता है और न उन्होंने कभी कोई ऐसा काम किया जो भारतीय संविधान द्वारा अपने नागरिकों को दिए गए अधिकारों के दायरे से बाहर हो।
सीमा आजाद की पत्रिका ‘दस्तक’ ने उस गंगा एक्सप्रेस-वे योजना पर एक विस्तृत जांच की थी जिससे हजारों किसानों के उजड़ने का खतरा था। इसने आजमगढ़ के मुस्लिम युवकों की अंधाधंुध गिरफ्तारी और उत्पीड़न पर एक लंबी रपट प्रकाशित की थी। इन दोनों राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी और अभी का फैसला पूरी तरह दुर्भावना से प्रेरित है और उन लोगों को सबक सिखाने के लिए है जो सरकारी तंत्र की मनमानी के खिलाफ आवाज उठाते हैं और उत्पीड़ित लोगों के पक्ष में खड़े होते हैं।
हम इस फैसले की घोर निंदा करते हैं और आम जनता से अपील करते हैं कि वह मामले की तह तक जाय और सरकार के इस जनविरोधी चेहरे को बेनकाब करे। हम अंग्रेजों द्वारा बनाए गए उस कानून को समाप्त करने की भी मांग करते हैं जिसके तहत आए दिन सामाजिक कार्यकर्ताओं को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और सालों-साल बगैर मुकदमा चलाए जेलों में रखा जाता है। यही स्थिति विनायक सेन, प्रशांत राही और अरुण पेरेरा की हुई। ऐसी ही हालत में भारत की जेलों में सैकड़ों हजारों युवकांे को ‘देशद्रोही’ करार देते हुए बंद रखा गया है। सीमा आजाद और विश्व विजय का मामला सभी जनतंत्रप्रेमी लोगों के लिए एक चुनौती है जिसका मुकाबला डट कर किया जाना चाहिए।
निवेदक
आनन्द स्वरूप वर्मा, संपादक- समकालीन तीसरी दुनिया
हस्ताक्षरकर्ता
1. सीमा मुस्तफा, वरिष्ठ पत्रकार
2. जावेद नक़वी, वरिष्ठ पत्रकार
3. प्रोफेसर कमल मित्र चेनॉय, जेएनयू
4. प्रो. चमनलाल, जेएनयू
5. डॉ. सूर्यनारायण, प्रोफेसर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
6. ललित सुरजन, प्रधान संपादक, देशबंधु
7. सुकुमार मुरलीधरन, वरिष्ठ पत्रकार
8. आनंद स्वरूप वर्मा, संपादक, समकालीन तीसरी दुनिया
9. गौतम नवलखा, वरिष्ठ पत्रकार
10. सुभाष गाताड़े, वरिष्ठ पत्रकार
11. हिमांशु कुमार, गांधीवादी कार्यकर्ता
12. पलाश बिस्वास, वरिष्ठ पत्रकार
13. आनंद प्रधान, वरिष्ठ पत्रकार/शिक्षक, आइआइएमसी
14. अरुंधति धुरू, वरिष्ठ अधिवक्ता
15. वीरेंद्र यादव, वरिष्ठ पत्रकार
16. दिलीप मंडल, इंडिया टुडे
17. जीतेंद्र कुमार, बीबीसी
18. अनुरंजन झा, वरिष्ठ टीवी पत्रकार
19. राहुल पंडिता, पत्रकार, ओपेन मैगज़ीन
20. गोपाल कृष्ण, पर्यावरणविद
21. भाषा सिंह, आउटलुक
22. पाणिनी आनंद, आउटलुक
23. संजीव माथुर, राजस्थान पत्रिका
24. पंकज श्रीवास्तव, कार्यकारी संपादक- आइबीएन-7
25. विश्वदीपक, रेडियो डोएचेविले
26. हरिशंकर शाही, वरिष्ठ पत्रकार
27. प्रकाश के रे, रिसर्च स्कॉलर्स एसोसिएशन, जेएनयू
28. शाह आलम, जेयूसीएस
29. अशोक भौमिक, साहित्यकार-चित्रकार
30. संजय जोशी, फिल्मकार
31. अरबिंदो घोष, फिल्मकार
32. नीलाभ अश्क, कवि
33. कात्यायनी, कवियत्री
34. मंगलेश डबराल, कवि और संपादक, दी पब्लिक एजेंडा
35. वीरेन डंगवाल, कवि
36. अजय सिंह, लेखक
37. परवेज़ अहमद, पत्रकार
38. कौशलेंद्र यादव, दलित चिंतक
39. असरार खान, राजनीतिक कार्यकर्ता
40. चंद्रशेखर बिरथरे
41. कमल शुक्ला, वरिष्ठ पत्रकार
42. पीयूष पंत, वरिष्ठ पत्रकार
43. अशोक कुमार पांडे, लेखक-प्राध्यापक
44. सत्यम, वरिष्ठ पत्रकार
45. पंकज चतुर्वेदी, लेखक
46. सुरेश नौटियाल, उत्तराखंड पत्रकार परिषद
47. आशुतोष कुमार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता
48. वैभव सिंह, पत्रकार
49. रंजीत वर्मा, लेखक-कवि
50. निलय उपाध्याय, लेखक
51. विद्याभूषण रावत, लेखक
52. शोभा सिंह, कवियत्री
53. आर.डी. सत्येंद्र कुमार, राजनीति कार्यकर्ता
54. सुखविंदर, संपादक पंजाबी पत्रिका ‘प्रतिबद्ध‘
55. अभिनव, संपादक ‘आह्वान‘
56. अभय स्वामी, सचिव, दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन
57. भूपेन सिंह, पत्रकार-शिक्षक
58. अम्लेंदु उपाध्याय, हस्तक्षेप डॉट कॉम
59. अभिषेक श्रीवास्तव, पत्रकार
60. रेयाज़-उल-हक़, पत्रकार
61. अंजनी कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता-पत्रकार
62. उपेंद्र स्वामी
63. दिलीप खान, पत्रकार
64. राजेंद्र सिंह
65. संदीप वर्मा
66. आलोक जोशी
67. अखिलेश कुमार
68. सत्येंद्र प्रताप सिंह
69. इरफान अली इंजीनियर
70. साझा सांस्कृतिक मंच
71. संदीप नाइक
72. अनुज अवस्थी
73. सुभाष गौतम
74. सुयष सुप्रभ
75. महेश राठी
76. नीलाक्षी सिंह
77. रंगनाथ सिंह
78. राकेश कुमार सिंह
79. आशीष अवस्थी
80. मोहम्मद खान समा
81. अजय मोडक
82. संदीप राउज़ी
83. नितिन चौहान
84. अमर शर्मा
85. अमनदीप सिंह
86. मनीष रंजन
87. रमाकांत राय
88. मनीष भारतीय
89. प्रशांत कुमार सिन्हा
90. मनोज अभिज्ञान
91. अमिताभ श्रीवास्तव
92. हिमांशु बाजपेयी
93. वंदना भदौरिया
94. संदीप संवाद
95. सैयद शहरोज़ कमर
96. प्रखर मिश्रा विहान
97. शेषनाथ पांडे
98. चंद्रिका
99. गुरजीत
100. अभिनव आलोक
101. संतोष कुमार
102. सुशांत झा
103. अनुराग आर्य
104. प्रशांत प्रियदर्शी
105. मोहन श्रोत्रिय
106. नजमुल हुदा सैनी
107. पंकज के चौधरी
108. राहुल कुमार
109. हेमंत आर्यन
110. अमर किशोर शर्मा
111. केशव तिवारी
112. संगीता भगत
113. लवली गोस्वामी
114. विजय पाण्डेय
115. आशीष देवराड़ी
116. स्वर
117. विष्णु शर्मा
118. विमल चंद्र पांडे
119. अवनीश पाठक
120. प्रेमचंद गांधी
121. विजया सिंह
122. मिसिर अरुण
123. अरविंद विद्रोही
124. महेंद्र यादव
125. नानासाहेब कदम
126. राशिद अली
127. मृत्युंजय कुमार यादवेंदु
128. हिमांशु पांडे
129. अपर्णा श्रीवास्तव
130. केशव
131. अभिषेक अंशु
132. सरोज कुमार
133. कीर्ति सुंदरियाल
134. विवेक सिंह
135. केशव झा
136. अकबर रिज़वी
137. विवेक विद्रोही
138. मनीष तिवारी
139. राजेश मिश्रा
140. प्रदीप श्रीवास्तव
141. मुकुल सरल
142. सलमान अरशद
143. आदित्य सिंह परिहार
144. पुनीत पुष्कर
145. ओमप्रकाश पाल
146. राजीव यादव
147. महिंदर पाल
148. लोकेश मालती प्रकाश
149. राकेश भारद्वाज
150. सुधांशु फिरदौस
151. अशरफ
152. मनीष रंजन
153. सुमी दानी
154. गीताश्री
155. राजेश मंडल
156. चंदन मिश्र
157. रविंदर गोयल
158. अवनीश मिश्र
159. रामजी यादव
160. आलोक कौशिक
161. ललित सती
162. अनुज शुक्ला
163. कमलाकर मिश्र
164. जीतेंद्र नारायण
165. मसिजीवी हिंदी
166. नौजवान भारत सभा
167. नवीन गौर
168. उमराव सिंह जाटव
169. राजेश चौधरी
170. शफीक खान
171. दीपक संवसिया
172. अनिल मिश्र
173. अजीत सिंह
174. आशुतोष कुमार
175. कंचन जोशी
176. सीपी सिंह चंदन
177. नंदलाल
178. एसकेवी टली
179. शम्भू यादव
180. योगेश्वर सिंह
181. दिनेश त्रिपाठी
182. चंदन मिश्र
183. आशुतोष त्रिपाठी
184. विनीत जायसवाल
185. राजकुमार सिंह
186. अधिवक्ता आरके जैन
187. डॉ संदीप पांडे
188. रोमा
189. एसआर दरपुरी
190. अशोक चौधरी
191. शांता भट्टाचार्य
192. रिचा सिंह
193. शाहनवाज़ आलम
194. नंदलाल मास्टर
195. राजीव यादव
196. अविनाश कुमार सिंह
197. शमसुद्दीन अब्दुल रहीम
198. तुषार भट्टाचारजी
199. हेमा अवस्थी
200. प्रीति चौधरी
201. अनिल जनविजय
202. अमर ज्योति
203. दीप शर्मा
204. फैयाज़ इनामदार
205. संजय रॉय
206. जीतेंद्र झा
207. दिलीप सिंह
208. व्यालोक
209. अनिमेश बहादुर
210. आशु सिराज
211. सत्या वर्मा
212. राम मूरत
213. आलोक रंजन
214. प्रदीप श्रीवास्तव
215. मनोज पटेल
216. राधेश्याम मेहर
217. श्रीराम मौर्य
218. अनंत कुमार
219. विक्रम भारतीय
220. एके पंकज
221. प्रियरंजन
222. मीडियामोर्चा
223. रामा सिंह
224. गौतम बुद्ध राय
225. राधाकृष्ण मेघवंशी
226. फहमीना हुसैन
227. सौरभ यादव
228. ऋषि कुमार सिंह
229. अशोक दास
230. शालिनी ध्यानी
231. सोरण सिंह
232. धर्मेंद्र इनानी
233. शमशाद इलाही शम्स
234. तरसेम सिंह बैंस
235. अशोक दुसाध
236. पान बोहरा
237. रविशंकर कुमार
238. दीपक नागरकोटी
239. पंकज तिवारी
240. सुनील कुमार पवन
241. शम्भू शरण नवीन
242. मोहम्मद अफीक सिद्दीकी
243. योगीराज यादव
244. आशीष पाठक
245. बिक्रम सिंह शेखावत
246. मुकिश कुमार मिरोठा
247. चंद्रशेखर जोशी
248. श्रीकांत शर्मा
249. नीरज मोदी
250. किरीट कुमार प्रवासी
251. दिलीप वानिया
252. अविनाश यादव
253. मनीष कुमार यादव
254. अभिषेक तिवारी
255. अच्युतानंद मिश्र
256. प्रशांत राही
257. अर्जुन प्रसाद सिंह, पीडीएफआई
(हस्ताक्षरकर्ताओं की सूची लगातार अद्यतन हो रही है)
पूरे मामले की विस्तृत जानकारी के लिए पढ़ें अंजनी कुमार की मौके पर लिखी रपट:
न्याय की बैसाखी पर मौत की इबारत
हां
yes
yes
haa (Yes)
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
मेरी आवाज शामिल करें इस आवाज में
हाँ
हां
हाँ !
मेरा 'हाँ' दर्ज करें
विमल चन्द्र पाण्डेय
मैं सहमत हूं।
हां, यह मेरी ही आवाज़ है।
हाँ..
पूरी तरह सहमत.
हाँ!
ऐसे देशद्रोह के मामलों में पुलिस को पूरी स्वतन्त्रता दी जानी चाहिए। न्यायालयों को चाहिए कि देशद्रोह के सभी आरोपियों को मृत्यु दंड दें। ऐसा इसलिए कि जब आजीवन कारावास में ऐसे लोग भेजे जात हैं, तब माओवादी अपहरण आदि दे द्वारा इन्हें छुड़ाने का प्रयास करते हैं। साथ ही ये देशद्रोही जेल से ही अपराधी प्रवृत्ति के लोगों को माओवाद या जिहाद के दल में भर्ती करते हैं।
poori tarah sahamt..aur maovadi hone par bhi sahamati.
हां
सहमत
मूल भावना से सहमत हूँ , लेकिन अदालती फैसले सन्दर्भ में 'निंदा' की जगह आलोचना शब्द का प्रयोग करने के पक्ष में हूँ . इस लिए भी कि आगे अपील की जानी है . अदालती विकल्प अभी बंद नहीं किया गया है . इस लिए ऐसी भाषा से बचना चाहिए , जो न्यायलय की अवमानना मानी जा सके .
सुशांत झा
अनुराग आर्य
प्रशांत प्रियदर्शी
मोहन श्रोत्रिय
नजमुल हुदा सैनी
पंकज के चौधरी
राहुल कुमार
हेमंत आर्यन
अमर किशोर शर्मा
केशव तिवारी
संगीता भगत
लवली गोस्वामी
विजय पाण्डेय
आशीष देवराड़ी
इन सभी साथियों के नाम शामिल करें….सभी ने मेरी वाल पर अपनी सहमती दी है…
yes
सहमत
गरीबों के हक के लिए लड़ना देशद्रोह है या देश की संपदा विदेशी कंपनियों को सौंपना देशद्रोह है? सीमा आजाद जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की आवाज़ नहीं कुचली जा सकती. मैं उनकी रिहाई की मांग करता हूँ और लेख से सहमत हूँ.
han mai bhi sahmat hun
yes
अभिषेक अंशु, सरोज कुमार, यादव शंभु,अखिलेश कुमार, हिमांशु पांडे, केशव माधव, राकेश कुमार सिंह, कीर्ति सुंदरियाल, शेषनाथ पांडे, मृत्युंजय, सुनील, अनिल, सुयश सुप्रभ, संदीप नाइक
इन सबके नाम शामिल करें। कुछ ने मेरे मेल पर कुछ ने फेसबुक पर सहमति दी है।
mera naam bhi shamil karein… avinash [mohalla live]
मेरा नाम भी दर्ज करें
शाहनवाज़ मलिक
mazdoor patrika (YES)
Mera bhi naam joden…
Sushil
Eklavya, Bhopal
Mai bhi is muhim me aapke sath hoon
Kunal Kishore
This judicial verdict is a blot on the rule of law. Earnest efforts should be launched to go in appeal. I support the campaign whole-heartedly.
Rakesh Goyal
yes
yes
yes
manoj kumar singh
journlist
yes
manoj kumar singh
journlist
मेरा नाम जोड़ लें
– हिमांशु पंड्या
mai sahmat hoo
kriti
बिहार तथा झारखण्ड में बंदियों ने न्यायालय के फैसले के खिलाफ एक दिन का उपवास रख कर खुली हवा में सांस लेने वाले बाशिन्दों के लिए एक राह दिखायी है।
सीमा और विश्वविजय को सश्रम आजीवन कारावास दिया जाना इस देश की न्याय व्यवस्था के अन्यायी चेहरे को और उजागर करता है। कितना आश्चर्यजनक है कि कलमाडी, कनीमोझी, के राजा, टू जी के अन्य अभियुक्त, येदियुरप्पा, आदर्श घोटाले के सारे अभियुक्त इन सारे लोगों को जमानत मिल गयी और सीमा और विश्वविजय जो जनता के पक्ष मंे खड़े थे उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनायी गयी। दरअसल अब वक्त आ गया है कि जनता यह तय करे कि कौन असली देशद्रोही है। यही है इस देश के फासीवादी शासकों का असली चरित्र। हमें इसके खिलाफ पुरज+ोर तरीके के से आवाज उठानी चाहिए।
कृति
Dear Vermaji,
I agreed with this statement and suggested some amendments. The amendment was done but still my name is missing from the list of signatories.Please add my name so soon as possible.
……….Arjun Prasad Singh,PDFI
mai is muhim main aapke saath hoon.
yes
I agree with the statement. So, add my name among the signatories.
…..Sunil
yes
I agree with the statement prepared by Anand swarup verma. There is an urgent need to organize a broad-based united campaign against the conviction of Seema Azad and Vishwavijay. we should also demand the unconditional release of all political prisoners.
….Madhu Kankaria
हां