(हिंदी के नामचीन लेखक उदय प्रकाश ने हिंदुत्ववादी ताकतों द्वारा कन्नड़ के विद्वान प्रो. कलबुर्गी की हत्या के विरोध में साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने की घोषणा की है। उन्होंने शुक्रवार की सुबह अपने फेसबुक वॉल पर इस संबंध में निम्न पोस्ट लिखा है)
पिछले समय से हमारे देश में लेखकों, कलाकारों, चिंतकों और बौद्धिकों के प्रति जिस तरह का हिंसक, अपमानजनक, अवमानना पूर्ण व्यवहार लगातार हो रहा है, जिसकी ताज़ा कड़ी प्रख्यात लेखक और विचारक तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ साहित्यकार श्री कलबुर्गी की मतांध हिंदुत्ववादी अपराधियों द्वारा की गई कायराना और दहशतनाक हत्या है, उसने मेरे जैसे अकेले लेखक को भीतर से हिला दिया है।
अब यह चुप रहने का और मुँह सिल कर सुरक्षित कहीं छुप जाने का पल नहीं है। वर्ना ये ख़तरे बढ़ते जायेंगे।
मैं साहित्यकार कुलबर्गी जी की हत्या के विरोध में ‘मोहन दास‘ नामक कृति पर २०१०-११ में प्रदान किये गये साहित्य अकादमी पुरस्कार को विनम्रता लेकिन सुचिंतित दृढ़ता के साथ लौटाता हूँ।
अभी गॉंव में हूँ। ७-८ सितंबर तक दिल्ली पहुँचते ही इस संदर्भ में औपचारिक पत्र और राशि भेज दूँगा।
मैं उस निर्णायक मंडल के सदस्य, जिनके कारण ‘मोहन दास‘ को यह पुरस्कार मिला, अशोक वाजपेयी और चित्रा मुद्गल के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, यह पुरस्कार वापस करता हूँ।
आप सभी दोस्तों से अपेक्षा है कि आप मेरे इस निर्णय में मेरे साथ बने रहेंगे, पहले की ही तरह।
आपका
उदय प्रकाश।
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आज कल मन की खूब कही जा रही है, आप ने अपने मन की सुनी और मन की ही की. अभिनंदनीय कदम आप से करने वाले कम यही दुख.साहित्यकारों के लिए पुनर्विचार करना जरूरी. प्रमोद गौतम
ब्रिटिश राज के मुंह पर टैगोरी तमाचे की याद आ गई। अभिनंदन इस निर्णय का।
ब्रिटिश राज के मुंह पर टैगोरी तमाचे की याद आ गई। अभिनंदन इस निर्णय का।
अकादेमी पुरस्कार वापस करने के आपके फ़ैसले को बौद्धिक जगत में एक नज़ीर माना जाना चाहिए । नए निज़ाम में व्यक्ति की वैचारिक स्वतंत्रता छिज रही है । असहिष्णुता दोधारी तलवार है । यह संकीर्णता ख़ुद के लिए भी घातक हो सकती है ।
Is faileke liye aapko dhnyvad pr ye jo sb kuchch hota he vo mudivadioke gulamoke dwara kiya jate he isbareme bhi kbhi sochie