आख़िरकार 12 वर्ष लम्बे संघर्ष का परिणाम रंग लाया और भूजल व् प्रदुषण के लिए जिम्मेदार कोका कोला प्लांट मेंहदीगंज राजा तालाब वाराणसी को गत 6 जून 2014 को प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड उ ० प्र ० के आदेश के द्वारा बंद कर दिया गया है, उक्त कंपनी को बंद करने की मांग को लेकर विगत एक दशक से मेंहदी गंज व आसपास के स्थानीय ग्रामीण आन्दोलनरत थे, जिनके प्रयास से कोकाकोला कंपनी बंद हुई।
आंदोलन की शुरुआत 2002 से हुई। अनगिनत बार धरना प्रदर्शन हुए। 200 -200 किलोमीटर की कई बार पदयात्राएं हुई। अहिंसात्मक रूप से प्रदर्शन करने वाले ग्रामवासियों पर लाठियां बरसाई गयी। तीन बार सैकड़ों महिला पुरुषों जेल जाना पड़ा। उनके ऊपर अनगिनत फर्जी मुकदमे लादे गये। आंदोलन को दबाने के लिये लोगों को प्रलोभन दिए गए यहाँ तक कि ग्रामवासियों में मतभेद पैदा करने के लिए यह भी दुष्प्रचार किया गया कि यह आंदोलन पैसों के लिए किया जा रहा है।
प्रदेश सरकार से लेकर दिल्ली सरकार के सम्बन्धित कार्यालयों में अनगिनत बार हजारों की तादात में जाकर गुहार लगाई गयी। जलदोहन प्रदूषण धोखाधड़ी के मुद्दों पर सरकारी जाँच एजेंसियों से लेकर प्राइवेट जाँच एजेंसियों से जाँच कराई गयी लेकिन कोका कोला के खिलाफ सारे सबूत होने के बावजूद कंपनी के दबाव में कोई भी विभाग कम्पनी पर कार्यवाही करने से बचती रही। लेकिन इसके बावजूद ग्रामवासियों ने हिम्मत नही छोड़ा और कंपनी के खिलाफ आंदोलन करते रहे। अंततः प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड उ ० प्र ० को स्वीकार करना पड़ा और कंपनी को तुरन्त बंद करने का आदेश दे दिया है.
हालाँकि कोका कोला कंपनी इस आदेश के खिलाफ पर्यावरण मंत्रालय के तहत काम करने वाला फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में सुनवाई चल रहा है। हमें पूरी उम्मीद है की हमलोगों को यहाँ भी न्याय मिलेगा लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा की चुनाव के पहले तक कोका कोला को बंद करने की माँग को लेकर धरना प्रदर्शन करने वाली नई भाजपा सरकार का क्या रुख होता है यहाँ यह भी जानना जरुरी है कि भाजपा के वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री माननीय अरुण जेठली जी कोका कोला कंपनी के वकील रह चुके है और दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी जी इस समय नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल में कोका कोला की तरफ से केस देख रहे है वही अपने पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलनों में अपने कार्यकर्ताओं को कोका कोला और पेप्सी वहिष्कार करने वाली प्रदेश सरकार क्या फैसला लेती है ?
साथियों की जानकारी के लिए बता दूँ कि कोका कोला के भूजल दोहन के कारण यहाँ पानी का भयंकर संकट हो गया है गांव के ज्यादातर कुएं हैण्डपम्प बोरवेल जबाब दे चुके है जिसके कारण इस ब्लाक को सरकार ने क्रिटिकल जोन घोषित कर दिया है और किसान के नये बोरवेल हैण्डपम्प लगाने पर पाबन्दी लगा दिया है दूसरी तरफ कोका कोला अभी तक जितना पानी लेती थी उसका पाँच गुना ज्यादा एक हजार फ़ीट की गहराई से पानी निकालने की अनुमति मांग रहा है साथ ही कंपनी से निकलने वाला कचरा और जहरीला पानी यहाँ के मिट्टी और पानी को जहरीला बना रहा है। कोका कोला कम्पनी ग्रामसभा के करोङो की सार्वजनिक जमीन पर अवैध रूप से काबिज है साथ ही सरकार को तीन करोड़ पचास लाख से ज्यादा की स्टाम्प चोरी करके चुना लगाया है सैकड़ो लोगों को रोजगार देने का दावा करने वाली कोका कोला कम्पनी के कर्मचारी जब अपना मजदुर यूनियन बनाकर स्थाई नौकरी की माँग किये तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाकर उनके ऊपर फर्जी मुकदमे लाद दिया और वे आज भी कोर्ट का चक्कर लगा रहे है।
खैर प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड उ ० प्र ० ने कम्पनी को बंद कराकर ग्रामवासियों को बहुत राहत दिया है अब हम सब दोगुने उत्साह से इस संघर्ष को जारी रखेंगे क्योंकि लड़ाई अभी बहुत बाकी है. सभी आंदोलनकारी साथियों को इस जीत की बधाई और धन्यवाद। आंदोलन की कुछ यादगार तस्वीरें और बंद करने का आदेश की कापी देखें जिन्दाबाद !
साभार: संघर्ष संवाद
plant fir shuru ho gaya modi ji ki kripa se kripaya update ker le