बीती फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों की जांच के लिए कांस्टीट्यूशनल कन्डक्ट ग्रुप ने एक स्वतंत्र जांच कमिटी का गठन किया है। इस जांच कमेटी में उच्चतम न्यायालय के चार पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर, जस्टिस ए पी शाह, जस्टिस आर एस सोढ़ी, जस्टिस अंजना प्रकाश के साथ सेवामुक्त हो चुके आइएएस अधिकारी जे के पिल्लई और मीरा चड्ढा बोरवांकर शामिल हैं।
कांस्टीट्यूशनल कन्डक्ट ग्रुप द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि दिल्ली दंगों के बाद दिल्ली पुलिस द्वारा इसकी जांच पर उठते सवाल और पक्षपात के आरोपों के कारण इस निष्पक्ष जांच कमिटी की जरूरत महसूस की गयी है ताकि नौकरशाही, ऊपरी अदालतों और पुलिस में विश्वसनीयता को बनाया रखा जा सके।
यह कमिटी दंगों से पहले, दंगों के दौरान और उसके बाद के तमाम पहलुओं की जांच करेगी।
CCG-Press-Statement-11.10.2020दिल्ली पुलिस द्वारा दंगे की जांच पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। गौरतलब है कि तमाम साक्ष्य, वीडियो और गवाह उपलब्ध होने के बाद भी दिल्ली पुलिस पर मनमाने ढंग से बेकसूरों को आरोपित करने और उनके खिलाफ़ केस दर्ज़ करने का आरोप लगा है। इन दंगों के लिए दिल्ली पुलिस ने कई बुद्धिजीवियों और छात्र नेता सहित अन्य सामाजिक और नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वालों पर मुकदमा किया है।
दिल्ली दंगों की जांच के नाम पर दिल्ली पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद से पूछताछ के बाद पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। फिर मामले में दिल्ली पुलिस ने स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव और डॉक्युमेंट्री फिल्ममेकर राहुल रॉय के नाम सह-षडयंत्रकर्ताओं के रूप में दर्ज किए।