दुनिया भर में निंदा झेल रहे फेसबुक कंपनी की नीति निदेशक (भारत, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया) आंखी दास द्वारा दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में 16 अगस्त को दी गयी शिकायत में एक बड़ा झोल सामने आया है। जिस कमेंट के आधार पर एक व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दी गयी है, फेसबुक पहले ही उसका वह कमेंट सामुदायिक दिशानिर्देशों के उल्लंघन का हवाला देकर हटा चुका था।
आंखी दास ने जिन पांच व्यक्तियों और अन्य के खिलाफ़ शिकायत दी थी उसमें एक नाम हिमांशु देशमुख का है। इस मामले में हिमांशु देशमुख दोहरी प्रताड़ना का शिकार हुआ है, वो भी केवल इसलिए कि फेसबुक कमेंट की नीति तय करने वाले समीक्षकों को हिंदी नहीं आती।
हिमांशु की कहानी फेसबुक कंपनी में बैठे कमेंट रिव्यूर कर्मचारियों की अज्ञानता और अधिकारियों की एकछत्र तानाशाही का ताज़ा उदाहरण है। हिमांशु देशमुख ने वरिष्ठ पत्रकार आवेश तिवारी की पोस्ट पर आंखी दास को टैग करते हुए एक कमेंट किया था। कमेंट सादा था। उसमें हिंदी की दो आम लोकोक्तियां थीं: ‘’शैतान की अम्मा’’ और ‘’ऊंट पहाड़ के नीचे’’। अव्वल तो कमेंट करते ही फेसबुक ने हिमांशु को नोटिस भेजा कि उनका कमेंट हटाया जा रहा है, उसे कोई और नहीं देख सकता क्योंकि वह ‘’उत्पीड़न’’ और ‘’धमकी’’ से जुड़े फेसबुक के सामुदायिक दिशानिर्देशों का उल्लंघन है।
आइए, देखें, हिमांशु ने क्या लिखा था:
हिंदी बोलने वाला कोई भी प्राणी इस कमेंट को उत्पीड़न या धमकी नहीं मानेगा, लेकिन फेसबुक में बैठे समीक्षकों ने इसे ऐसा मानकर हटा दिया।
इसके बाद हिमांशु को विकल्प दिए गए कि वे क्या कर सकते हैं। उनसे पूछा गया कि वे इस फैसले को स्वीकार करते हैं या नहीं।
उन्होंने असहमति वाला विकल्प चुना।
फिर उनसे पूछा गया कि वे असहमत क्यों हैं और कुछ विकल्प चुनने को दिए गए। हिमांशु ने जो विकल्प चुना, उसके अनुसार फेसबुक ने उनके कमेंट का अर्थ गलत समझ लिया है।
कमेंट के घंटे भर के भीतर फतवा सुनाने वाले फेसबुक ने इस असहमति का रिव्यू करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उसके पास रिव्यूवर नहीं हैं।
फेसबुक ने लिखा कि ‘’हम अकसर मौका देते हैं दोबारा समीक्षा के अनुरोध करने का, और यदि हमारा निर्णय गलत हुआ तो हम उसका फॉलो अप करते हैं। कोरोना वायरस के कारण हमारे पास इस वक्त कम रिव्यूवर उपलब्ध हैं इसलिए हम उन कंटेंट का रिव्यू करने को ज्यादा प्राथमिकता दे रहे हैं जिनसे नुकसान की आशंका सबसे ज्यादा है। इसका मतलब यह हुआ कि हम आपके मामले में फॉलो अप नहीं कर पाएंगे।‘’
इसके बाद फेसबुक ने हिमांशु देशमुख को एक चेतावनी दी और लिखा कि ‘’हम समझते हैं कि गलतियां हो जाती हैं इसलिए हम आपका खाता प्रतिबंधित नहीं कर रहे हैं।‘’
इस संदेश के बाद हिमांशु के खाते पर ‘’अकाउंट वॉर्निंग’’ का एक संदेश स्थायी रूप से टांग दिया गया।
इतनी कहानी बनाने के बाद आंखी दास ने अपनी शिकायत में हिमांशु देशमुख को नामजद कर दिया, उसी कमेंट का हवाला देते हुए। वही कमेंट, जिसे उनका फेसबुक हटा चुका था और इससे असहमति जताने पर कोरोना के बहाने रिव्यूवरों की कम उपलब्धता का कारण बताकर फॉलो अप करने से इंकार कर दिया था।
पूरी शिकायत के बारे में जानने के लिए नीचे दी गयी स्टोरी को पढ़ें:
किसी को ‘मुर्दाबाद’ कहना क्या जान की धमकी माना जाएगा अब? समझें आंखी दास की पूरी शिकायत
यहां दो सवाल उठते हैं।
जब फेसबुक ने हिमांशु देशमुख के कमेंट पर अपने तरीके से कार्रवाई कर ही दी थी और उसे हटा दिया था, तब आंखी दास ने उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत क्यों की?
दूसरा सवाल, क्या आंखी दास को नीति निदेशक होते हुए पता नहीं रहा होगा कि जिस कमेंट पर वह शिकायत करने जा रही हैं उसे हटाया जा चुका है?
यह मानना संभव नहीं है क्योंकि कमेंट हटाने वाले कर्मचारी सभी उनके मातहत हैं। इससे यह समझ में आता है कि आंखी दास ने जबरन हिमांशु देशमुख के खिलाफ शिकायत दर्ज करवायी है।
पत्रकार आवेश तिवारी द्वारा रायपुर में 17 अगस्त को आंखी दास और दो अन्य के खिलाफ दर्ज करवायी एफआइआर के बाद यह मामला दुनिया भर में गरमा चुका है। अमेरिका में पत्रकारों की सुरक्षा पर काम करने वाली संस्था कमेटी टु प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने 19 अगस्त की शाम एक विस्तृत बयान जारी किया है।
इसके अलावा खुद फेसबुक कंपनी के भीतर उसके 11 कर्मचारियों ने कंपनी के शीर्ष प्रबंधन को इस मसले पर पत्र लिखा है और खासकर भारत की टीम को लेकर कुछ अहम आरोप लगाये हैं, जिनमें मुस्लिमों के साथ भेदभाव का मसला अहम है।
कांग्रेस पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने फेसबुक के मालिक जुकरबर्ग को एक पत्र लिखकर वॉल स्ट्रीट जर्नल में छपे लेख में दिए गए आरोपों की उच्चस्तरीय जांच करने की मांग की है और जांच पूरी होने तक फेसबुक इंडिया की टीम को बदलने की मांग की है। इस पत्र को राहुल गांधी ने भी ट्वीट किया है।