CAA पर सिलीगुड़ी में नड्डा का ऐलान बंगाल चुनाव की ज़मीन तैयार कर चुका है!


कल शाम राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री त्योहारों के मौसम में कबीर के दोहे और रामचरितमानस की शिक्षा के साथ संक्रमण से सावधान रहने की सलाह कम, चेतावनी ज्‍यादा दे गए. इस बीच देश नागरिकता कानून यानी सीएए पर बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की घोषणा को भूल गया!

जिस नागरिकता कानून संशोधन के विरोध में कोरोना से पहले शाहीन बाग़ सहित पूरा देश आंदोलित रहा, हिंसा, आगजनी, पुलिस फायरिंग, मुकदमे, गिरफ़्तारी और संपत्ति जब्त तक की कार्रवाई हुई, उसे एक बार फिर सामने ला दिया गया है लेकिन अबकी कोई हलचल नहीं है.

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि सीएए को लागू करने में कोरोना वायरस महामारी की वजह से देरी हुई, लेकिन अब जल्द ही इस कानून को लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद कानून बन चुका है और भाजपा इसे लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है.

बेशक अब देश में नागरिकता कानून बन कर पास हो चुका है कि उसके बाद जो देशव्यापी आन्दोलन शुरू हुआ था उसे नहीं भूलना चाहिए न ही कोई भूला है, न सरकार भूली है न ही बीजेपी. ऐसे में बीजेपी अध्यक्ष द्वारा कोविड संकट के बीच फिर इस मुद्दे को छेड़ देना कोई आम बात नहीं है. यह सब कुछ पश्चिम बंगाल में आगामी चुनाव के मद्देनजर बीजेपी की रणनीति का हिस्सा है.

नड्डा ने कहा है कि अब जैसे-जैसे स्थिति सुधर रही है, वैसे ही नियम भी तैयार हो रहे हैं. बहुत जल्द सीएए लागू हो जाएगा.

जेपी नड्डा द्वारा सीएए जल्द लागू करने की घोषणा के बाद पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी पर तीखा हमला किया है. तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट में लिखा- सुनो बीजेपी, कागज दिखाने से बहुत पहले हम तुम्हें दरवाजा दिखा देंगे.

नड्डा ने अपने संबोधन में यह भी कहा था कि ‘तृणमूल कांग्रेस के राज में इतने समय तक ‘हिन्दू समाज’ के प्रति आघात किया गया.’

इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीजेपी की निंदा की है.

दरअसल पश्चिम बंगाल में पिछले चुनावों में बीजेपी और तृणमूल के बीच सत्ता की जो जंग छिड़ी थी, कोरोना लॉकडाउन के बाद उसमें फिर तेजी आने लगी है. पूर्वोत्तर में असम और त्रिपुरा के बाद बीजेपी का लक्ष्य अब पश्चिम बंगाल है.

बंगाल में बीजेपी काफी समय से राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है. दो दिन पहले ही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक निजी चैनल से बात करते हुए पश्चिम बंगाल की कानून व्यवस्था पर चिंता व्यक्त की थी. अमित शाह ने कहा था कि बंगाल के बीजेपी नेताओं की मांग जायज है.

इसके बाद तृणमूल ने बीजेपी पर पलटवार किया है.

लोकसभा चुनाव 2014 के प्रचार के दौरान ही बीजेपी और तृणमूल के बीच संघर्ष तेज हो गया था. इसके बाद पंचायत चुनावों के दौरान वहां अभूतपूर्व हिंसा हुई और 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भी जमकर हिंसा हुई थी. दोनों दलों ने एक–दूसरे पर जमकर आरोप लगाये. ईश्‍वरचंद्र विद्यासागर की मूर्ति टूटी, आगजनी हुई.

याद हो कि बीते साल मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के काफिले के सामने आकर कुछ लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगाये थे, जिस पर ममता भड़क गयी थीं. इसके बाद बीजेपी ने ममता बनर्जी को घेरने के लिए पोस्टकार्ड पर जय श्रीराम लिख कर भेजने का खेल शुरू किया था, जिसके जवाब में तृणमूल ने भी वंदेमातरम् और जय बांग्ला मुहीम चलायी थी.

हाल ही में 8 अक्टूबर को कोलकाता में बीजेपी ने सचिवालय तक एक विरोध यात्रा का आयोजन किया था. इस यात्रा के दौरान पुलिस और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी.

बीते छह वर्षों में पश्चिम बंगाल में जबरदस्त धार्मिक ध्रुवीकरण हुआ है. जो इतिहास नहीं जानते वे भी अब कहते मिलते हैं कि बीजेपी सत्ता में नहीं आयी तो मीर कासिम आ जाएगा. सुदूर सुंदरवन के लोग भी कह रहे हैं कि ट्रम्प की यात्रा से पहले दिल्ली में एक ख़ास वर्ग ने दंगा करवाया जबकि उनके पास इन बातों का कोई सबूत नहीं है.

सवाल है कि किस आधार पर लोग इस तरह की बातें करते हैं?

दुर्गापूजा या काली पूजा बंगाल में धार्मिक अनुष्ठान से अधिक सामाजिक आयोजन रहा है. सभी मजहब के लोग वहां सभी त्योहारों को मिलकर मनाते और आनंद लेते रहे हैं, किन्तु अब वहां परिवर्तन दिखने लगा है. यह परिवर्तन बंगाल की गौरवमय संस्कृति के लिए कतई सुखद नहीं है.

बाकी तो जनता जनार्दन हैं. उन्हें ही अपना भविष्य तय करना है.


नित्यानंद गायेन वरिष्ठ पत्रकार और कवि हैं


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