MP: गुना में किसान महापंचायत आयोजित, आंदोलन को गांव-गांव तक फैलाने का संकल्प


इंदौर। पिछले 100 दिनों से चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मध्यप्रदेश में भी किसान महापंचायतों की शुरुआत हो चुकी है। पहली किसान महापंचायत गुना जिले के आरोन में हुई, जिसमें प्रदेश के कई किसान नेताओं सहित ग्वालियर चंबल संभाग के किसानों ने भागीदारी कर सफल बनाया और संकल्प लिया कि वे यहां से जाकर इस आंदोलन को मध्यप्रदेश के गांव-गांव में फैलाने का प्रयास करेंगे।

कृषि क्षेत्र में व्यापारियों का मुनाफा सुनिश्चित करने के लिए कृषि विरोधी तीन कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में व पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के बढ़ते दामों के खिलाफ आज गुना जिले की आरोन तहसील में नारायण कॉलोनी मैदान में ऑल इंडिया किसान-खेत मजदूर संगठन ने किसान- नागरिक महापंचायत आयोजित की, जिसमें आरोन व आसपास के कई गाँव से सैकड़ों की संख्या में किसान व आम नागरिक शमिल हुए।

महापंचायत को एआइकेकेएमएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सहित विभिन्न किसान संगठनों के नेताओं ने संबोधित करते हुए उपस्थित किसानों और नागरिकों से आव्हान किया कि दिल्ली की सीमा पर चल रहा किसान आंदोलन देश के किसान और मेहनतकश ओके मान सम्मान और स्वाभिमान बचाने का आंदोलन है और देश बचाने के इस आंदोलन में हर मेहनतकश की भागीदारी जरूरी है, इसलिए इस महापंचायत के बाद आप प्रदेश के कोने-कोने में जाकर किसान आंदोलन को मजबूत करने का अभियान छेड़े।

महापंचायत में मंच का नाम नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के नाम पर रखा गया। महापंचायत की शुरुआत में दिल्ली में बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रद्धाजंलि व्यक्त करते हुए ट्रेड युनियन नेता नरेन्द्र भदोरिया ने एक शोक प्रस्ताव रखा इसके बाद शहीद हुए किसानों को 1 मिनिट का मौन रखकर श्रदाँजलि दी।

महापंचायत में विषय प्रवर्तन AIKKMS के राज्य सचिव मनीष श्रीवास्तव ने रखते हुए कहा कि-

अनुबंध खेती के दुष्परिणाम आने लगे हैं मध्यप्रदेश में विभिन्न जिलों में कम्पनियां किसानों से सीधा खरीद का वायदा करके फरार हो चुकी हैं वहीं प्रायवेट मंडी के तहत किसानों से बड़े पैमाने पर मंडियों के बाहर खरीद करके व्यापारी भाग चुके हैं। ऎसे केस हमारे गुना में भी हुये हैं। किसान आंदोलन को व्यापक जन समर्थन मिल रहा है समाज का हर तबका छात्र, युवा, महिलाएं, वकील, डॉक्टर सभी इस आंदोलन को समर्थन दे रहे हैं।

AIKS के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कहा कि-

नये कानून घोर कृषि व कृषक विरोधी होने के साथ-साथ जन विरोधी भी है। किसान सिर्फ खेती बचाने की ही नही देश बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में जाति, धर्म की सीमा नही है वे से ऊपर चुके है उनकी सिर्फ एक जाति है-किसान।

उन्होने कहा:

जब-जब किसानों ने एकजुट होकर आंदोलन किया है तो जीते हैं। जब ये मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आई थी,तब भी किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन किया व आंदोलन में जीते। हमें इतिहास से सीख लेकर इन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आन्दोलन को और मजबूत करना होगा।

किसान- नागरिक महापंचायत को सम्बोधित करते हुए मूलताई के पूर्व विधायक तथा अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति की वर्किंग ग्रुप के सदस्य डॉ सुनीलम ने कहा कि-

यह एक एतिहासिक किसान आंदोलन है। जो भी व्यक्ति उत्पादन करता है वही उसकी कीमत का निर्धारण करता है परन्तु किसान अपनी उपज का दाम तय नहीं करता है किसान लम्बे समय से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार एमएसपी की कानूनी गारंटी नही दे रही है। पूरे देश का पेट भरने वाला किसान आत्महत्या करने को मजबूर है हर साल 12000 किसान आत्महत्या करते हैं।

महापंचायत को सम्बोधित करते हुए हरियाणा से आये ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री सत्यवान ने कहा कि-

जब देश महामारी से जुझ रहा था तब सरकार ने आपदा में अवसर तलाशते हुए पूंजीपतियों को कृषि क्षेत्र में निवेश कर मुनाफ़ा कमाने की खुली छूट देने के लिए किसानों व किसान संगठनों से राय-मशविरा किए बिना कृषि व कृषक विरोधी तीन काले कानूनों को लागू किये है। व्यापार वाणिज्य सुविधा व संवर्धन कानून के तहत सरकार किसानो के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ कर व किसानों को लूटने के लिये पूंजीपतियों को छूट दी है।

उन्होंने आगे कहा-

आवश्यक वस्तु संशोधन कानून से पूंजीपतियों को जमाखोरी को वैध बनाया गया है, जिसके परिणामस्वरूप पूंजीपति किसानों से कम दाम में फसल खरीदकर अपने वातानुकूलित गोदामो में आवश्यक वस्तुओं का भंडारण करेंगे व आम जनता को महंगे दामों में विक्रय करेंगे। इसी प्रकार संविदा कृषि से किसान अपने ही खेत में कंपनियो का गुलाम हो जायेगा। वहीं दूसरी ओर सरकार पूंजीपतियों के हित में लगातार पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस के दामों मे बेहताशा वृद्धि की गई है आज मंहगाई ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है।

महापंचायत को राकेश मिश्रा, सुरेन्द्र रघुवंशी, एडवोकेट आराधना भार्गव, रामस्वरुप मंत्री,अभिषेक रघुवंशी, लोकेश शर्मा, मोहनसिंह यादव, गुरविंदरसिंह, सहित देवेंद्र किसान संगठनों के कई नेताओं ने संबोधित किया। महापंचायत का संचालन प्रदीप आर.बी ने किया।


संयोजक
किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़
9425902303


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *