राम को पूजने के लिए आपको खुद पुरुषोत्तम होना होगा अर्थात अज्ञान से निकलना होगा…

कोई कर्म करने से पहले अपने ह्रदय में भगवान श्रीराम को विराजमान करिए। यहां पर भगवान श्रीराम हृदय में एक छोटे स्वरूप में आए। वहीं पर कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने अपने विराट स्वरूप का दर्शन करवाया जिसमें समस्त ब्रह्मांड उनके भीतर था। इसलिए यह जिज्ञासा कभी होनी ही नहीं चाहिए कि यह ब्रह्म कौन है। ‘अहम् ब्रह्मास्मि’- यह बात ही सर्वथा सत्य है कि आप स्वयं में ही ब्रह्म हैं।