मंटो की ‘सॉरी’ से अलग है बैतूल पुलिस की ‘मिशटेक’

क्या बुंदेले की धार्मिक पहचान को लेकर भ्रम उतना ही बड़ा सच था, जितना कि वह मंटो की कहानी ‘सॉरी’ में है?