तन मन जन: ‘स्वास्थ्य की गारंटी नहीं तो वोट नहीं’- एक आंदोलन ऐसा भी चले!
भारत में जन स्वास्थ्य राजनीति का मुख्य एजेण्डा क्यों नहीं बन पाया? यह सवाल भी उतना ही पुराना है जितना कि देश में लोकतंत्र। आजादी के बाद से ही यदि पड़ताल करें तो लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा की मांग तो जबरदस्त रही लेकिन राजनीति ने लगभग हर बार इस मांग को खारिज किया। अन्तरराष्ट्रीय संस्थाओं जैसे विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ तथा कई गैर सरकारी संगठनों ने अपने तरीके से जन स्वास्थ्य का सवाल उठाया, सरकारों ने महज नारों को स्वास्थ्य का माध्यम माना और संकल्प, दावे, घोषणाएं होती रहीं लेकिन जमीन पर हकीकत कुछ और है।
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