बात बोलेगी: स्मृतियाँ जब हिसाब मांगेंगीं…

एक ज़िंदगी कई घटनाओं का बेतरतीब संकलन होती है। हर रोज़ कुछ घटता है। उस घटने को लोग देखते हैं, महसूस करते हैं, उसके अच्छे-बुरे परिणाम भुगतते हैं। घटनाएँ बीत … Continue reading बात बोलेगी: स्मृतियाँ जब हिसाब मांगेंगीं…