आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न और सामाजिक रूप से न्यायपूर्ण भारत का इंदिरा का सपना अब भी बाकी है…

साम्प्रदायिकता, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद, अलगाववाद तथा सामाजिक व्यवस्था के विचारहीन पहलू भारतीय एकता को तोड़ रहे थे। जहां उन्हें आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न भारत का निर्माण करना था, वहीं दूसरी ओर एक अभिशप्त सामाजिक व्यवस्था के स्थान पर न्यायपूर्ण व्यवस्था का सृजन करना था। श्रीमती गांधी ने जीवनपर्यन्त और प्राण देकर भी इसका निर्वहन किया।