स्टेन स्वामी की हत्‍या इस लोकतंत्र की हत्‍या का एक रूपक है!

जिन तमाम चीजों के भरोसे हम खुद को एक लोकतंत्र कहते हैं, वह सब कुछ खत्‍म किया जा रहा है। बेशक उतना धीरे-धीरे नहीं, जैसे फादर स्‍टेन स्‍वामी मारे गये। उनकी हत्‍या इस लोकतंत्र की हत्‍या का एक महीन रूपक है। हम पर नरपिशाचों का राज है। इस धरती पर उनका शाप फल रहा है।