‘एक देश बारह दुनिया’ पर दो पत्रकारों के बीच ‘भाव-संवाद’

पुस्तक में कहीं यात्रा-वृत्तांत, कहीं संस्मरण तो कहीं डायरी जैसी साहित्यिक विधाओं का प्रयोग किया गया है, लेकिन ये सारी विधाएं आखिरकार होती कहानियां ही हैं तो इन्हें ऐसी कहानियों के रूप में समझा जाय जो पिछले एक-डेढ़ दशक में भारतीय गांवों- जिनमें हिंदी, मराठी, गुजराती, कन्नड़, छत्तीसगढ़ी, बुंदेलखंडी, राजस्थान के थार और जनजातीय बोलियों से जुड़े लोगों- की व्यथा है।