महिला-मुक्ति और सम्मान का सवाल श्रम की मुक्ति के साथ नत्थी है, इसे नहीं भूलना चाहिए

आजादी के बाद समझौतावादी धारा का समर्थक धनी, पूंजीपति वर्ग सत्ता में आने के बाद निहित वर्ग-स्वार्थ के कारण महिलाओं की मुक्ति की दिशा में ठोस कदम उठाने से हमेशा परहेज करता रहा।