इससे सबसे पहले तो सभी राजनीतिक दलों को अपना लोकतांत्रीकरण करने को मजबूर होना होगा। इसके बाद सरकार को नयी श्रेणियों की रचना करनी पड़ सकती है। अनुसूचित जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/घुमंतू-विमुक्त में शामिल कई जातियां इधर से उधर हो सकती हैं।
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