“इन 18 महीनों में हमने वो भी खो दिया जो हमारा था”: कश्मीर में विकास के दावों का ज़मीनी सच

जिन समुदायों के साथ यह बातचीत हुई, वे पुराने निज़ाम को फिर से याद करने लगे हैं जबकि कश्मीर के स्थापित परिवारों और खानदानों को लेकर उनके मन में कोई सहानुभूति नहीं है बल्कि वे तो यह मानते हैं कि ‘उनके साथ ठीक ही हुआ’।