फ़ैसल खान की गिरफ़्तारी साझा संस्कृति के नये नारे की जरूरत को रेखांकित करती है

भारत के अन्दर तेजी से बदलता यह घटनाक्रम दरअसल सदिच्छा रखने वाले तमाम लोगों- जो तहेदिल से सांप्रदायिक सद्भाव कायम करना चाहते हैं, जहां सभी धर्मों के तथा नास्तिकजन भी मेलजोल के भाव से रह सकें- के विश्वदृष्टिकोण की सीमाओं को भी उजागर करता है।