“एलीट के विद्रोह को जनता अपनी बग़ावत समझ बैठी है”!

इस बग़ावती एलीट के बीच कोई वर्ग एकता जैसी चीज़ नहीं है, सिवाय इसके कि इसकी पकड़ उन राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक साधनों पर है जिसके सहारे वे दंडमुक्त रह सकते हैं।