पत्रकारिता की मिशनरी परंपरा और पतन: एक दिवंगत संपादक की अंतर्दृष्टि
पत्रकारों को अमूल या इंडियन कॉफी वर्कर्स को ऑपरेटिव सोसायटी की तर्ज पर अपना सहकारी संगठन खड़ा करना चाहिए। अगर हमारी दिलचस्पी स्वतंत्र, लोक हितैषी, स्वस्थ पत्रकारिता में है तो वह तभी संभव है जब पत्रकार स्वयं अपने मालिक बनें।
Copy and paste this URL into your WordPress site to embed
Copy and paste this code into your site to embed