NIA ने फादर स्टैन स्वामी को उठाया, भीमा-कोरेगांव केस में दो बार हो चुकी है पूछताछ


आज देर शाम राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (NIA) ने झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी को रांची स्थित उनके आवास से उठा लिया। अभी तक गिरफ़्तारी संबंधी कोई औपचारिक बयान एजेंसी का नहीं आया है।

फादर ने दो दिन पहले ही इसकी आशंका एक विडियो में जतायी थी।

भीमा कोरेगांव मामले में फादर स्टैन स्वामी के घर पर पूर्व में भी छापा पड़ चुका है। 28 अगस्त, 2018 को महाराष्ट्र पुलिस ने इनके रांची के बगईचा (नामकुम) स्थित आवास पर छापा मारकर लैपटाॅप, सीडी, पेन ड्राइव, मोबाइल समेत कई चीजें जब्त कर ली थीं। तभी से ही फादर भीमा कोरेगांव मामले में अन्य बुद्धिजीवियों की तरह ही निशाने पर हैं। अभी हाल-फिलहाल 6 अगस्त, 2020 को भी एनआईए ने रांची स्थिस्टैनत इनके आवास पर आकर लगभग ढाई घंटे पूछताछ की थी।

भीमा कोरेगांव: फादर स्‍टेन स्‍वामी से NIA ने की पूछताछ

भाकपा-माले झारखंड राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद और विधायक विनोद सिंह ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी कर एनआईए द्वारा फादर स्टैन को उठा ले जाने की कार्रवाई की तीव्र भर्त्सना की है। विदित है कि फादर स्टैन से एनआईए की टीम दो बार पूछताछ कर चुकी है। इसके बावजूद इस कोरोना काल में पूछताछ के लिए ले जाना बिल्कुल निंदनीय है। एक ऐसे बुजुर्ग जिनकी उम्र 81 वर्ष से भी ज्यादा हो चुकी हो उनके साथ पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करना निहायत ही अमानवीय कृत्य है। लिहाजा हमारी मांग है कि फादर स्टैन की उम्र को देखते हुए तथा कोरोना काल की जटिलता को ध्यान में रखकर एनआईए अपनी दमनात्मक कार्रवाई पर रोक लगाए, फादर को बाइज्जत, सही सलामत वापस भेजे।

फादर स्टैन स्वामी का पूरा वक्तव्य नीचे पढ़ा जा सकता है:

मुझसे NIA ने पांच दिनों (27-30 जुलाई व 6 अगस्त) में कुल 15 घंटे पूछताछ की. मेरे समक्ष उन्होंने मेरे बायोडेटा और कुछ तथ्यात्मिक जानकारी के अलावा अनेक दस्तावेज़ व जानकारी रखी जो कथित तौर पर मेरे कंप्यूटर से मिली एवं कथित तौर पर माओवादियों के साथ मेरे जुड़ाव का खुलासा करते हैं. मैंने उन्हें स्पष्ट कहा कि ये छलरचना है एवं ऐसे दस्तावेज़ और जानकारी चोरी से मेरे कंप्यूटर में डाले गए हैं और इन्हें मैं अस्वीकृत करता हूँ. NIA के वर्तमान अनुसन्धान का भीमा-कोरेगांव मामले- जिसमें मुझे ‘संदिग्ध आरोपी’ बोला गया है और मेरे निवास पर दो बार छापा (28 अगस्त 2018 व 12 जून 2019) मारा गया था- से कुछ लेना देना नहीं है लेकिन अनुसन्धान का मूल उद्देश्य है निम्न बातों को स्थापित करना – 1) मैं व्यक्तिगत रूप से माओवादी संगठनों से जुड़ा हुआ हूँ एवं 2) मेरे माध्यम से बगईचा भी माओवादियों के साथ जुड़ा हुआ है. मैंने स्पष्ट रूप से इन दोनों आरोपों का खंडन किया. छह सप्ताह की चुप्पी के बाद, NIA ने मुझे उनके मुंबई कार्यालय में हाजिर होने बोला है. मैंने उन्हें सूचित किया है कि 1) मेरे समझ के परे है कि 15 घंटे पूछताछ करने के बाद भी मुझसे और पूछताछ करने की क्या आवश्यकता है; 2) मेरी उम्र (83 वर्ष) व देश में कोरोना महामारी को देखते मेरे लिए इतनी लम्बी यात्रा संभव नहीं है.  झारखंड सरकार के कोरोना सम्बंधित अधिसूचना अनुसार 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुज़ुर्ग व्यक्तियों को लॉकडाउन के दौरान नहीं निकलना चाहिए; एवं 3) अगर NIA मुझसे और पूछताछ करना चाहती है, तो वो विडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हो सकता है. अगर NIA मेरे निवेदन को मानने से इंकार करे और मुझे मुंबई जाने के लिए ज़ोर दें, तो मैं उन्हें कहूँगा कि उक्त कारणों से मेरे लिए जाना संभव नहीं है. आशा है कि उनमें मानवीय बोध हो. अगर नहीं, तो मुझे व हम सबको इसका नतीज़ा भुगतने के लिए तैयार रहना है. मैं सिर्फ इतना और कहूँगा कि जो आज मेरे साथ हो रहा है, ऐसा अभी अनेकों के साथ हो रहा है. सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, लेखक, पत्रकार, छात्र नेता, कवि, बुद्धिजीवी और अन्य अनेक जो आदिवासियों, दलितों और वंचितों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाते हैं और देश के वर्तमान सत्तारूढ़ी ताकतों की विचारधाराओं से असहमति व्यक्त करते हैं, उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान किया जा रहा है. इतने सालों से जो संघर्ष में मेरे साथ खड़े रहे हैं, मैं उनका आभारी हूँ. लम्बे अरसे से मैं जिन सवालों को उठाते आया हूँ, उन पर एक नोट संलग्न है- क्या अपराध किया है मैंने?

फादर स्टैन स्वामी

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