नक्सलियों से सम्बन्ध रखने के आरोप में नागपुर सेंट्रल जेल में बंद जी एन साईबाबा को दिल्ली विश्वविद्यालय के रामलाल आनंद कॉलेज ने प्रोफेसर के पद से आधिकारिक तौर पर निष्कासित कर दिया गया है. प्रोफेसर जी.एन.साईंबाबा को माओवादी से संबंध के आरोप में साल 2017 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी.
शारीरिक तौर पर 90 फीसदी विकलांग साईंबाबा ने साल 2003 में बतौर इंग्लिश के सहायक प्रोफेसर के तौर पर कॉलेज को जॉइन किया था. साल 2014 में निलंबन के बाद महाराष्ट्र पुलिस ने प्रोफेसर को कथित माओवादियों के साथ संबंध के चलते गिरफ्तार किया था.
ख़बरों के अनुसार साईबाबा के घरवालों को कॉलेज की ओर से मिले नोटिस पर प्रिंसिपल के हस्ताक्षर हैं, उसी के माध्यम से इसकी सूचना भेजी गयी. प्राप्त ज्ञापन के अनुसार साईबाबा के पद को बीते 31 मार्च को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया. हालांकि इसके पीछे के कारण की जानकारी नहीं मिली है.
कॉलेज के प्रिंसिपल राकेश कुमार गुप्ता के हस्ताक्षर वाले पत्र में कहा गया है, ‘रामलाल आनंद कॉलेज के सहायक प्रोफेसर जीएन साईबाबा की सेवाएं 31 मार्च 2021 की दोपहर से तत्काल प्रभाव से समाप्त की जाती हैं. उनके बैंक खाते में तीन महीने के वेतन का भुगतान कर दिया गया है.’
साईबाबा की पत्नी वसन्ता ने इस कदम को अन्यायपूर्ण और गैरकानूनी करार देते हुए आरोप लगाया है कि यह सब कुछ सरकार के इशारे पर किया गया है और वे इसके खिलाफ कानून का दरवाजा खटखटाएंगी.
उनकी पत्नी ने कहा, ‘सजा के खिलाफ हमारी अपील अब भी बंबई हाईकोर्ट में लंबित है, तो फिर वे इस तरह का निर्णय कैसे ले सकते हैं. एसएआर गिलानी (संसद हमला मामले में दोषी) इसके बेहतर उदाहरण हैं. उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया गया, उनको कभी सेवा से नहीं हटाया गया. तो फिर साईबाबा की सेवा क्यों समाप्त की जा रही है? यह कर्मचारी के अधिकारों का उल्लंघन है.’
दिल्ली विश्वविद्यालय की प्रोफेसर और कमिटी फॉर डिफेंस एंड रिलीज ऑफ जी एन साईबाबा की नंदिता नारायण ने आरोप लगाया कि जब कानूनी प्रक्रिया जारी है तो ऐसे में ‘सेवा समाप्त करने जैसी अचानक की गई कार्रवाई’ निंदनीय है.