कोडरमा: एम्‍बुलेंस नहीं पहुंचने से महिला की मौत की खबर करने वाले पत्रकार और चैनल पर मुकदमा


झारखंड के कोडरमा जिले में एक स्‍थानीय पत्रकार और चैनल के ऊपर चिकित्‍सा अधिकारी ने इसलिए मुकदमा लिखवा दिया क्‍योंकि उन्‍होंने एम्‍बुलेंस नहीं पहुंचने के चलते एक प्रसूता की हुई मौत की ख़बर चला दी थी।

मामला सतगावां थाने का है जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चंद्रमोहन कुमार ने पत्रकार प्रवीण कुमार और न्यूज चैनल ‘आरपी भारत’ के खिलाफ आइपीसी की धारा 186, 505, 34 समेत कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कराया है।

प्रवीण कुमार के मुताबिक वे न्यूज़ चैनल ‘आरपी भारत’ के अलावा ‘पब्लिक’ और ‘सन्मार्ग’ के लिए रिपोर्टिंग करते हैं। उन्‍होंने कोरोना के समय में कई गांवों में स्वास्थ्य उपकेंद्र के खराब हालात पर रिपोर्टिंग की थी। वे बताते हैं, ‘’डॉ. चंद्रमोहन राय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सतगावां के प्रभारी होने के बावजूद अधिक समय निजी क्लीनि‍क गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में देते हैं, इस पर मैंने रिपोर्टिंग की थी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के कैम्पस में स्थित आवासीय क्वार्टरों को डॉक्टर द्वारा भाड़ा पर लगाने की खबर पर भी मेरी नज़र थी। मेरी रिपोर्टिंग से डर कर ही डॉक्टर ने मेरे ऊपर मुकदमा दर्ज करवाया है ताकि मैं डर जाऊं और उनके भ्रष्टाचार का भंडाफोड़ न कर सकूं।‘’

चिकित्‍सा अधिकारी द्वारा दी गयी तहरीर

डॉक्टर के द्वारा दर्ज करायी गयी एफआइआर में कहा गया है, ‘‘22 जुलाई को कोडरमा जिले के सतगावां थानान्तर्गत मोचरामो गांव की रहने वाली प्रसूता 20 वर्षीया पिंकी देवी का आकस्मिक निधन होने पर सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया एवं इलेक्ट्रोनिक मीडिया में मुझे और स्वास्थ्य विभाग को बदनाम करने की नीयत से एक सुनियोजित साजिश के तहत खबर प्रसारित किया गया जबकि वास्तव में पिंकी देवी की तबियत खराब होने के मामले में स्वास्थ्य विभाग को पूर्व से किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी। स्थानीय पत्रकार प्रवीण कुमार, वार्ड सदस्य तेजन राय, जयराम सिंह ‘बिहारी’ द्वारा सहिया केसरी देवी एवं एक अन्य महिला को डरा-धमकाकर दबाव देकर झूठा बयान दिलाया गया। इसके तहत स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय पर एम्बुलेंस न मिलने की वजह से उसकी मौत 11:00 बजे होने की बात बतायी गयी जबकि उसकी मौत सुबह 6:00 बजे ही हो चुकी थी। उक्त समाचार को ‘आरपी भारत’ चैनल में भी विस्तारपूर्वक प्रसारित किया गया, जिसके कारण सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न हुई।’’

प्रवीण कुमार ने इस पूरे प्रकरण को विस्तार से बताया, ‘’ मुझे 22 जुलाई को दिन के लगभग 11 बजे वार्ड सदस्य तेजनारायण राय और बिहारी सिंह का फोन आया और उन दोनों ने मुझे बताया कि मोचरामो गांव में एक प्रसूता की मौत हो गयी है और हम लोग स्वास्थ्य केंद्र, सतगावां फोन करते रहे, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आयी। उन दोनों के फोन आने के बाद मैं उस गांव में गया, जहां सहिया केसरी देवी समेत कई लोगों ने बताया कि प्रसूता पिंकी देवी को सुबह 4 बजे से ही प्रसव पीड़ा शुरू हो गयी थी, जिसके बाद गांव के कई लोगों व सहिया ने भी सतगावां स्वास्थ्य विभाग को फोन कर एम्बुलेंस भेजने का अनुरोध किया, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा मना कर दिया गया। फलतः गांव के कुछ युवा खाट पर ही टांग कर प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला को लेकर अस्पताल के लिए निकल  पड़े, लेकिन रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।‘’

वे बताते हैं कि उन्‍होंने सहिया केसरी देवी व एक और महिला की बाइट ली और न्यूज चैनल ‘आरपी भारत’ को भेज दी। यह समाचार 22 जुलाई की शाम चला, जिसे कई स्थानीय व्हाट्सएप्प ग्रुप में शेयर किया गया, लेकिन दो दिनों के बाद 24 जुलाई को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉक्टर चंद्रमोहन कुमार द्वारा प्रवीण को इस खबर की सूचना देने वाले तेजनारायण राय, बिहारी सिंह, न्यूज चैनल ‘आरपी भारत’ के साथ उन पर भी एफआइआर करा दी गयी।

इस मुकदमे की निष्पक्ष जांच के लिए मानवाधिकार जननिगरानी समिति के झारखंड स्टेट कोऑर्डिनेटर ओंकार विश्वकर्मा ने कोडरमा एसपी को एक आवेदन 31 जुलाई दिया है, जिसमें उन्होंने लिखा है कि ‘एक पत्रकार का यह संवैधानिक अधिकार है कि वह संविधान के अनुच्छेद 21 के संरक्षण के लिए आम जनता की समस्याओं को प्रिंट/इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से उठा सके। एक पत्रकार मानवाधिकार को सुरक्षित करने और उनके आवाज को संबल देता है। ऐसे में एक पत्रकार पर प्राथमिकी दर्ज करना लोकतंत्र के आवाज को दबाना प्रतीत हो रहा है।‘’


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