झारखण्ड में एक लाश को दो गज़ ज़मीन चाहिए!
घटना दिखाती है कि जिंदा ही नहीं बल्कि मरे हुए इंसान को भी समाज से अलग-थलग करने की पूरी तैयारी की जा चुकी है। शोषण व लूट पर टिकी इस व्यवस्था के पोषणकर्ता यह कभी भी नहीं चाहेंगे कि लोग सामूहिकता में किसी भी विषम परिस्थितियों से टक्कर ले।
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