जैंजिबार के दिन और रातें: नौवीं किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  सभी दिशाओं से सदियों से अन्वेषकों और व्यापारियों को अपने यहां खींचने वाले इस द्वीप पर यदि मैं नहीं आता तो मोहम्मदअमीन की दास्तान से अनजान रह …

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जैंजिबार के दिन और रातें: आठवीं किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  बहरहाल, एक बार फिर चंद्रेश पर लौटते हैं। उसने एक दिन मुझसे पूछा कि क्या मैं इस जज़ीरे के आखिरी छोर पर उसकी खरीदी एक प्रॉपर्टी देखना …

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जैंजि़बार के दिन और रातें: सातवीं किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  यदि आप अश्वेत अफ्रीकियों से बात करें तो कई बार आपको यह अहसास होगा कि वे अफ्रीका में बसे भारतीयों को पसंद नहीं करते। वे अकसर आपसे …

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जैंजि़बार के दिन और रातें – 6

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  आइए, ऐसी ही एक और जि़ंदगी से आपको मिलवाते हैं। मेरे जैंजि़बार आने से कुछ माह पहले यहां एक किताब का लोकार्पण हुआ था। उससे पहले नैरोबी …

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जैंजि़बार के दिन और रातें: पांचवीं किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी जैंजि़बार का समाज परंपरा और आधुनिकता के दो स्तंभों पर टिका है। ये दोनों एक-दूसरे से संघर्ष में नहीं, बल्कि परस्पर पूरक हैं। कभी-कभार ऐसा रहस्यमय और …

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जैंजि़बार के दिन और रातें: चौथी किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  भारत में हम जब पूर्वी अफ्रीका की बात करते हैं, तो हमारे दिमाग में अनायास तंज़ानिया, केन्‍या और उगांडा की तस्वीर उभर आती है। ऐसा इसलिए है …

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जैंजि़बार के दिन और रातें: तीसरी किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  चंद्रेश मुझे एक दिन वहां के आर्य समाज मंदिर ले गया। दीवारों पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नायकों गांधी, तिलक, टैगोर, पटेल, लाला लाजपत राय से लेकर …

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जैंजि़बार के दिन और रातें: दूसरी किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी  बहरहाल, पिछले छह साल से मैं चाह रहा था कि अपनी जैंजि़बार यात्रा का संस्मरण लिखूं, लेकिन किसी न किसी वजह से या अकारण ही अब तक …

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जैंजि़बार के दिन और रातें: पहली किस्‍त

प्रो. विद्यार्थी चटर्जी (प्रो. विद्यार्थी चटर्जी पुराने फिल्‍म आलोचक हैं, राष्‍ट्रीय फिल्‍म अवॉर्ड की जूरी में रहे हैं  और मज़दूर आंदोलनों से इनका करीबी रिश्‍ता रहा है। इनके लिखे का …

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