इस अतार्किक प्रतिबंध की ज्‍यादा अहमियत नहीं: यॉन मिर्डल

(स्‍वीडिश लेखक यॉन मिर्डल ने स्‍वीडन के विदेश मंत्री को एक चिट्ठी भेजी है जिसमें अपने प्रति भारत सरकार के रवैये का उन्‍होंने जि़क्र किया है। बहरहाल, चिट्ठी में कुछ …

Read More

भागे हुए पुरुषों पर एक दुर्लभ कविता

अजीब उबंतू, खाली, निरुद्देश्‍य, निरर्थक, व्‍यर्थ, असमर्थ दिन हैं ये। इतना कुछ हो रहा है और इतनी गति से कि कुछ भी नहीं आ पा रहा पकड़ में। इलेक्‍ट्रॉन की …

Read More

मजबूत हो रहे लोकतंत्र में अब ऐसे ही चलेगा?

जितेन्द्र कुमार चुनाव विश्लेषक और राजनीतिशास्त्री प्रोफेसर योगेन्द्र यादव हर चुनाव के बाद अक्सर टीवी पर बैठकर कहते हैं कि लोकतंत्र की जड़ें लगातार गहरी होती जा रही हैं (डीपेनिंग …

Read More

बाबा की मेज़ पर मोदी की शील्‍ड? (ये मामला इंडिविजुअल है, मीटिंग बुला लेते हैं)

श्री शिवमंगल सिद्धांतकर ”बाबा” मंगलेश डबराल के राकेश सिन्‍हा के साथ मंच साझा करने का विवाद अभी थमा भी नहीं था (आज ही जनसत्‍ता में मंगलेश जी की लंबी टिप्‍पणी …

Read More

ये डरे हुए लोग हैं, अंत तक कहेंगे आप नकली हैं: रंजीत वर्मा

(प्रियदर्शन जी के जवाब पर रंजीत वर्मा ने टिप्‍पणी भेजी है और मेरे द्वारा उठाए गए क्रोनी जर्नलिज्‍म के सवाल को इस बहस से हटाने की बात कही है। बहस …

Read More

दिखावटी राजनीति से सावधान: प्रियदर्शन

दैनिक भास्‍कर में रंजीत वर्मा के छपे लेख की मूल प्रति में से प्रियदर्शन के लेख की आलोचना को संपादित किए जाने संबंधी पोस्‍ट पर प्रियदर्शन जी ने अपना पक्ष रखा …

Read More

गुंटर ग्रास पर दैनिक भास्‍कर का ”क्रोनी जर्नलिज्‍म”

गुंटर ग्रास की कविता पर जो बहस पिछले दिनों शुरू हुई थी, वह हिंदी अखबारों का हिस्‍सा बन चुकी है। अफसोस केवल इस बात का है कि अखबारों ने अब …

Read More