Month: August 2011
टिटिहरी बोध
चीज़ें फिसल रही हैं खुली मुट्ठियों से… जाने क्यों लगता है अब तक नहीं हुआ जो, वो बस हो जाएगा अभी-अभी। एक डर तो है ही, बल्कि पहले से कहीं …
Read MoreJunputh
चीज़ें फिसल रही हैं खुली मुट्ठियों से… जाने क्यों लगता है अब तक नहीं हुआ जो, वो बस हो जाएगा अभी-अभी। एक डर तो है ही, बल्कि पहले से कहीं …
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