कुछ खबरें फटाफट…
तीन-चार खबरें जल्दी-जल्दी बतानी हैं, क्योंकि एक तो ब्लॉग अपडेट करने का वक्त नहीं मिलता, दूसरे हरेक खबर के बारे में लंबा नहीं लिखा जा सकता… सबसे पहले…जल्द से जल्द …
Read MoreJunputh
तीन-चार खबरें जल्दी-जल्दी बतानी हैं, क्योंकि एक तो ब्लॉग अपडेट करने का वक्त नहीं मिलता, दूसरे हरेक खबर के बारे में लंबा नहीं लिखा जा सकता… सबसे पहले…जल्द से जल्द …
Read Moreदरअसल, पिछले दिनों हुए नया ज्ञानोदय विवाद पर एक पुस्तिका प्रकाशित हुई थी जिसका नाम रखा गया ‘युवा विरोध का नया वरक’। मैंने सोचा कि साल बीतते-बीतते इस पर एक …
Read More‘भाषाई आत्मसम्मान और एक्टिविज्म’का सवाल जीतेंद्र रामप्रकाश अनुवाद: अभिषेक श्रीवास्तव ‘बोलना का कहिए रे भाई,बोलत बोलत तत्त नासाई’ (मैं वाणी के बारे में क्या कहूं भाई?वाणी की अधिकता से तो …
Read Moreदरअसल, भाषा के प्रति किसी का रवैया जीवन के प्रति उसके रवैये को प्रतिबिंबित करता है। यह कुछ महत्वपूर्ण चीजों के प्रति उसके वास्तविक रवैये का विस्तार है- जैसे संबंध, …
Read Moreअभी पिछले ही दिनों 21 से 24 सितम्बर के बीच दिल्ली में एक महत्वपूर्ण आयोजन हुआ जिसे हम मीडिया की भाषा में ‘अंडर रिपोर्टेड’ की संज्ञा दे सकते हैं। जवाहरलाल …
Read Moreये पंक्तियां आलोक धन्वा की एक कविता की हैं…बरबस याद आ गईं। दरअसल, मैं दो दिनों पहले दिल्ली में आयोजित एक पुरस्कार समारोह के बारे में सोच रहा था। शहीद …
Read More(यह लेख कुछ ही दिनों पहले दैनिक भास्कर में प्रकाशित हो चुका है। चूंकि इस पर काफी प्रतिक्रियाएं आईं और किसी रूद्र वर्मा नाम के सज्जन ने इसे ए से …
Read Moreनारद के बारे में पिछले कुछ दिनों के भीतर हिंदी चिट्ठाकारों के बीच भड़का असंतोष दरअसल एक ऐसी स्थिति को बयान करता है जहां व्यावसायिक हित ओर लोकप्रियता का चरम …
Read Moreजो हलाल नहीं होता…मेरे सामने बैठामोटे कद का नाटा आदमीएक लोकतांत्रिक अखबार कारघुवंशी संपादक हैपहले यह समाजवादी थापर सोवियत संघ के पतन के बादआम आदमी का दुख इससे देखा नहीं …
Read Moreअविनाश ने मोहल्ले में मेरे सुबह के पत्र को जगह दे ही दी, कम से कम टिप्पणी में ही सही। उसका जवाब भी दिया है…जवाब क्या सवाल है बाकायदा। अब …
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